Book Title: Bharat ki Khoj
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Osho Rajnish

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Page 141
________________ भारत की खोज क एक ही आदमी से सारी बातें निकलती हैं। और वह एक ही दिमाग की वाई प्रोडै क्ट होती है। गांधी का दिमाग गलत है जो मेरा कहना है। यह सवाल नहीं है कि व ह क्या कहते हैं क्या नहीं कहते। इसलिए जो भी उस दिमाग से निकलता है वह ग लत है। और विरोध करना बहुत जरूरी है। उसका का कारण है उसका कारण है। महावीर और बद्ध का विरोध इतना जरूरी नहीं है क्योंकि पच्चीस सौ साल में धल जम गई है उनकी कोई फिक्र ही नहीं कर रहा है सिवाए पूजा पाठ के, और पूजा पाठ कोई फिक्र नहीं है निवटा रहा है। एक दिन आता है वर्ष में निवटा देता है। गांधी नए हैं। और गांधी की छाया दिमाग पर है। गांधी का विरोध एक दम जरूरी है मैं तो बहुत कम करता हूं। तुम्हारी हिम्मत देख कर। और नहीं तो जितना विरोध करना चाहिए, क्योंकि मुझे दिखाई यह पड़ता है । क अगर गांधी का विरोध नहीं हुआ तो इस मुल्क की हत्या हो जाएगी। जो मुझे दिखाई पड़ता है वह मुझे करना चाहिए। नहीं तो फिर मैं वड़ा खतरनाक अ दिमी हूं। अगर मुझे ऐसा दिखाई पड़े कि भला वह गलत हो तो जिनको गलत दिखा ई पड़े वह मेरा विरोध करें। उसमें कोई हर्जा नहीं है। लेकिन मुझे ऐसा दिखाई पड़त [ है कि गांधी को अगर माना मुल्क ने तो मुल्क को इतना बड़ा नुकसान पहुंचेगा जि तना किसी एक व्यक्ति को मारने से किसी मुल्क को कभी नहीं पहुंचा। वाचक-आपने पीछे आपने जो कहा कि, 'गांधी जी . . . . . जो मैं जो ठीक कहा हूं, जो ठीक कहता हूं यानि ठीक का मतलब यह । आपके दिमा ग से जो निकल रहा है मैं गलत कहता हूं लेकिन इसका मतलब यह थोड़े ही कि अ पि कपड़ा पहने हुए हैं कमीज तो वह गलत पहने हुए हैं। मेरा मतलब आप समझ र हे हैं ना, गांधी को जिस मामले में मैं ठीक कहता हूं, और वह मामला विलकुल दूस रा है उसके ठीक होने से गांधी की फिलासफी का कोई संबंध नहीं। जैसे मैं कहता हूं गांधी सिंसियर आदमी, ईमानदार आदमी, उन्हें जो ठीक लगता है वह कर रहे हैं लेकिन जो उन्हें ठीक लगता है वह गलत है। मेरा मतलब समझ रहे हैं ना। मैं उनकी नियत पर शक नहीं करता। मैं यह नहीं कहता कि, 'गांधी बेईमान हैं, कि गांधी जानते हैं कि इससे नुकसान होगा और कर रहे हैं। यह मैं नहीं कहता। तो ग धिी एक गंभीर सिंसियर आदमी हैं। मेरा मतलब समझ रहे हैं ना, एक डाक्टर है व ह एकदम ईमानदार आदमी है उसे लगता है कि आपका पैर काटने से आपका हित होगा। वह पैसे के लिए पैर नहीं काट रहा, वह आपका दुश्मन नहीं है, वह आपको नुकसान नहीं पहुंचाना चाहता। लेकिन मैं यह कहता हूं कि डाक्टर विलकुल ही ईमा नदार है लेकिन डाक्टर बिलकुल नहीं है, यह पैर काटने से नुकसान होगा, गांधी की ईमानदारी पर मैं शक नहीं करता हूं नेहरू की ईमानदारी पर मुझे शक है। गांधी की ईमानदारी पर मुझे शक नहीं है। क्योंकि नेहरू जिसको ठीक समझते हैं उस को नहीं कहते क्योंकि गांधी उसको ठीक नहीं समझते। और नेहरू गांधी को बिलकु ल गलत समझते हैं लेकिन हिम्मत नहीं जुटाते कहने की। और गांधी का जय-जयका र किए चले जा रहे हैं। नेहरू विलकुल . . . . हां, नेहरू इनसिसीयर, अगर नेहरू ई Page 141 of 150 http://www.oshoworld.com

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