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भारत की खोज
अब राजनीतिज्ञ विज्ञान में बाधा डाल रहा है क्योंकि अब विज्ञान एक दुनिया वन वल र्ड पैदा कर रहा है और राजनीतिक को लग रहा है कि मेरी राजनीति गई। और रा जनीतिज्ञ कह रहा है बड़ा मुश्किल है राजनीति नहीं जानी चाहिए, धर्म गुरु चला ग या और राजगरु के जाने का मौका आ रहा है। विज्ञान के खिलाफ वह अडंगा डाल रहा है लेकिन वह भी नहीं जीतेगा। पक्ष फिर विज्ञान के पक्ष में। सत्य फिर विज्ञान के साथ है। विज्ञान का अर्थ ही है सत्य की खोज। और सत्य जीतता चला जाएगा। इसलिए यह मत कहिए कि विज्ञान लडा रहा है। एटम बनाया है विज्ञान ने यह स च है। अण शक्ति खोजी है, लेकिन अण शक्ति से आप आदमियों को मारेंगे, किस वैज्ञानिक ने कहा है। शायद आपको पता ना होगा सारे दुनिया के पांच हजार वैज्ञानिकों ने दस्खत करके यु० एन० को दिए है। कि हम जो शक्तियां खोज रहे है वह इसलिए नहीं खोज रहे हैं कि उनके द्वारा हत्या की जाए। लेकिन उनकी कौन सुन रहा है। हिरोशिमा पर ए टमबम गिरा तो सारे दुनिया के वैज्ञानिकों कि हालत चौंक गई। उनकी समझ में नह
आया कि हमने इसलिए बनाया था कि एक लाख आदमी मर जाएगा कुछ घड़ी में । अणु की शक्ति तो इतनी सृजनात्मक है कि अगर अणु की शक्ति खेतों में उपयोग
की गई . . . में उपयोग की गई। तो दुनिया से दरिद्रता हमेशा के लिए मिट जाए गी। और जैसा हम सुनते हैं कि देवता तरसते हैं पृथ्वी पर पैदा होने को अब तक तो न ही तरसे लेकिन अगर अणु शक्ति का प्रयोग हुआ तो देवता अर्जी लगाकर क्यू लगा कर खड़े हो जाएंगे कि हमको धरती पर पैदा होना है। लेकिन राजनीतिज्ञ विज्ञान जो शक्ति पैदा कर रहा है उसका समुचित सृजनात्मक क्रिएटिव उपयोगी होने देना चाहता है क्योंकि राजनीति मूलतः हिंसा पर खड़ी है। हिंसा ही राजनीति है। तो वह हिंसक राजनीतिज्ञ का क्या होगा? वह वाधा हटाता है, विज्ञान वाधा नहीं डालता। इसलिए दुनिया को धर्मों से मुक्त होने की जरूरत है और राजनीतिज्ञों से भी। ता क जीवन की सारी चेतना धीरे-धीरे, धीरे-धीरे वैज्ञानिक होती चली जाए। और हम
जीवन को सुंदर से सुंदर बनाने में समर्थ हो सकें। यह हो सकता है यह इसके पहले कभी नहीं हो सकता। और अगर यह नहीं हुआ त ने राजनीतिज्ञ सारी दुनिया को हत्या का कारण बन जाएंगे। सारी दुनिया के हत्या क । कारण वह बनेंगे। आज हम समुद्र से भोजन निकाल सकते हैं, और समुद्र में इतना
भोजन पड़ा है कि अभी जमीन की आवादी साढे तीन अरव है। अगर जमीन की अ विादी तीन सौ अरव भी हो जाए तो किसी आदमी को भूखा मरने की कोई जरूरत
नहीं है। लेकिन शायद तीन अरव नहीं है और भूखे मरने शुरू हो गए हैं। आधी दुर्दा नया भूखी मर रही है क्योंकि आणुविक शक्ति का समुद्रों में प्रयोग करके समुद्र से भ जन निकाला जा सकता है। वह भोजन निकाले कौन? हमें तो एटमबम बनाना है पड़ोसी पर डालने को। पड़ोसी को भी एटमवम वनाना है हम पर डालने को। पड़ोसी भी भूखा मर रहा है हम भी
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