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भारत की खोज
ी करने वाले को बहुत-बहुत कष्ट देने का वर्णन है । चोरी करने वाले को बहुत-बहुत दंड का डर है। यह क्या है ?
समाज कभी भी अच्छा नहीं था। आदमी कुछ अच्छे पैदा हुए। व्यक्ति कुछ अच्छे पैदा
हुए। समाज, समाज आज से पहले से हर हालत में अच्छा है, समाज । समाज रोज अच्छा हो रहा है। आने वाला समाज कल और भी अच्छा हो सकता है। समाज विक ास कर रहा है इसलिए पीछे के स्मृति और गुणगान बहुत धोखे के हैं और खतरना क हैं। खतरा यह है कि जो लोग यह मान लेते हैं कि पीछे का समाज बहुत अच्छा था, वह जाने-अंजाने अपने समाज को एक हीनता के भाव से भर देते हैं। और वह हीनता आदमी को बुरा होने की तरफ ले जाती है, अच्छे होने की तरफ नहीं । और भारत में तो एक बहुत अजीव धारणा है। हमारा तो खयाल यह है कि पतन ह ो रहा है विकास नहीं हो रहा है। पहले था सत युग अब चल रहा है कलयुग । अच्छे
युग पहले हो चुके। बुरे युग अब चल रहे हैं। आदमी रोज पतित हो रहा है। कि नु कसान के सोचने का जो ढंग है वह कहता है कि समाज पतित हो रहा है, ढंग खत रनाक है। विकसित श्रेष्ठतर आगे आ रहा है यह अगर खयाल और धारणा हो तो हम श्रेष्ठतम होने का प्रयास करते हैं। और यह पक्का ही है कि कलयुग आ रहा है बुरा होना जरूरी है तो फिर भले होने की कोशिश कौन करेगा, हमारा कसूर भी न हीं है कुछ कलयुग चल रहा है। हम बुरे हैं पंचम काल चल रहा है हम बुरे हैं हमा रा बुरा होना मजबूरी है। हम क्या कर सकते हैं, समय ऐसा है की हम बुरे हैं । यह धारणाएं समाज की प्रतिभा को ऊंचा उठाने का कारण नहीं बनती, रोकने का कारण बनती हैं। महापुरुष हुए हैं महान मनुष्य अवतक पैदा नहीं हुआ है। महान मनु प्य को पैदा होना है। और जो महापुरुष पैदा हुए हैं । वह महापुरुष भी इसी लिए मह पुरुष मालूम पड़ते हैं यह चौथी बात आपसे कहना चाहता हूं। बुद्ध को हुए ढाई हज
वर्ष हो गए। ढाई हजार वर्ष तक बुद्ध को याद रखने की जरूरत क्या थी। आप कहेंगे कि बुद्ध को याद ना रखें, महावीर को याद ना रखें। नहीं, मैं यह नहीं कह र हा हूं, मैं यह कह रहा हूं कि ढाई हजार वर्ष तक महावीर, बुद्ध या राम और कृष्ण को याद रखना पड़ता है उसका एक ही कारण हो सकता है। कि राम, बुद्ध और महावीर जैसे आदमी मुश्किल से पैदा होते हैं। गिने-चुने कभी उंगलियों पर गिने जा सकें।
अगर दुनिया में बहुत अच्छे आदमी पैदा होंगे तो महापुरुषों को याद रखना मुश्किल हो जाएगा। महापुरुष अतिन्यून है । इसलिए याद रखे जा सकते हैं और ध्यान रहे मह पुरुष पैदा ही इसलिए हो पाते हैं कि चारों तरफ हीन आदमियों का जमघट है। स्कू ल में शिक्षक लिखता है काले बोर्ड पर सफेद खड़िया से । उससे कहो ना कि काली खड़िया से क्यों नहीं लिखते । या उससे कहो कि सफेद दीवार पर क्यों नहीं लिख क र काम चला लेते सफेद खड़िया से । वह कहेगा, 'पागल हो गए हो ! सफेद खड़िया से लिखूंगा, सफेद दीवार पर लिख तो जाएगा लेकिन दिखाई नहीं पड़ेगा। सफेद ख डया का लिखा हुआ दिखाई पड़ता है काले ब्लैकबोर्ड पर महापुरुष दिखाई पड़ते हैं,
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