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भारत की खोज
जो जवान होती है कौम, वह हमेशा भविष्य के संबंध में विचार करती है। यह कौम बूढ़ी होती है इसलिए पीछे लौट - लौटकर देखती है । और यह बहुत खतरनाक है। आदमी का बूढ़ा होना स्वभाविक है, कौम का बूढ़ा होना दुर्घटना है। एक-एक आदमी तो बूढ़ा होना पड़ेगा, लेकिन फिर भी शरीर ही बूढ़ा होगा। आदमी के मन को बूढ़ा होने की कोई अनिवार्यता नहीं है। आदमी का मन मरते क्षण तक जवान हो स कता है, रह सकता है। शरीर तो बूढ़ा होगा, हो जाएगा, लेकिन समाज को तो बूढ़ा होने की कोई भी जरूरत नहीं है। क्योंकि समाज तो सदा जवान हो वह कभी बूढ़ा नहीं होगा। लेकिन भारत में एक दुर्घटना घट गई है कि समाज भी बूढ़ा हो गया है । समाज भी पीछे की तरफ देखता है। यह पीछे की तरफ देखने का कारण यह नहीं है कि पीछे बहुत सुंदर दुनिया बीत गई है। पीछे की तरफ देखने का कारण यह है कि भविष्य को निर्माण करने की क्षमता और साहस हमने खो दिया है। बाहर भवि प्य में कुछ भी नहीं दिखाई पड़ता सिवाय अंधकार के। वह पीछे लौट के मन को स मझाते रहते हैं, पीछे लौटकर देखते रहते हैं।
और तीसरी बात, एक बहुत अदभुत तार्किक भूल हो रही है । और वह यह हो रही
है कि जैसे आज, आज से दो हजार साल बाद ना तो मुझे कोई याद रखेगा, ना अ ापको कोई याद रखेगा, लेकिन गांधी का नाम दो हजार साल तक याद रखेंगे। और
दो हजार साल बाद लोग कहेंगे गांधी, इतना अच्छा आदमी। उस जमाने के लोग कतने अच्छे रहे हों, और उस जमाने के लोग, उस जमाने के लोगों का गांधी से क्य ा संबंध? लेकिन गांधी की याद रहेगी, हम सब भूल जाएंगे । और गांधी की याद पर हमारे संबंध में निर्णय लिया जाएगा कि बहुत अच्छे लोग थे। और हम, हमारा गां धी से कोई भी संबंध नहीं, गौम्से से तो कोई संबंध हो भी सकता है।
गांधी से हमारा क्या लेना देना। लेकिन गांधी हमारे प्रतिकपन के इतिहास में जिंदा रहेंगे, और लोग गलती करते रहेंगे हमेशा । वह कहेंगे गांधी युग कितने अच्छे लोग थे। वही भूल सदा होती है हम कहते हैं राम राज्य, राम का युग । कितने अच्छे लो ग थे। राम याद रह गए। और वह जो वृत्तर मनुष्य था उसका नाम कुछ भी पता न हीं कि वह बहुत अच्छा नहीं रहा होगा। बुद्ध याद रह गए, महावीर याद रह गए। उस जमाने का आम आदमी हमें याद नहीं रहा । कहता हूं कि वह बहुत अच्छा न हीं रहा होगा। क्यों कहता हूं ? आप कहेंगे कि जब हम सितम्बर में कुछ पता नहीं तो ऐसा मैं क्यों कहता हूं। कुछ कारण से कहता हूं ।
इसलिए कहता हूं कि बुद्ध सुबह से शाम तक लोगों को समझाते हैं कि चोरी मत करो! झूठ मत बोलो! हिंसा मत करो! बेईमानी मत करो! किसको समझाते हैं अच् छे आदमियों को। महावीर सुबह से शाम तक चालीस साल तक यही समझाते रहे क संयम साधो, असंयम बुरी चीज है। ज्यादा मत खाओ, कम खाओ किन लोगों को समझा रहे थे महावीर यह । अच्छे लोगों को, जो चोर नहीं थे उनको समझा रहे थे कि चोरी मत करो। और अगर महावीर ने चालीस साल में एक आद बार कहा हो ता कि चोरी मत करो तो हम समझते कि एक आद आदमी मिल गया होगा चोर।
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