Book Title: Bharat ki Khoj
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Osho Rajnish

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Page 84
________________ भारत की खोज उन समाजों में उपवास करने वाला धर्म प्रचलित हो जाता है। जैसे जैनियों में उप प करने वाला धर्म प्रचलित है। ओवर फेट सोसाइटी. और कोई कारण नहीं। गरी व आदमी में उपवास की क्रीड नहीं चल सकती, उपवास का पंख नहीं चल सकता। गरीब आदमी कहेगा कि हम उपवासी हैं ही। यह कहां की बातें कर रहे हो। हमें क छ ऐसा धर्म बताओ कि कभी-कभी वह सौ का दिन आ जाए धर्म का उस दिन हम अच्छा खाना भी खा सकें तो गरीब आदमी का जो धर्म होगा। उसमें धार्मिक दिन पर ज्यादा खाना खाया जाएगा। अमीर आदमी का जो धर्म होगा उसमें धार्मिक भी प्रभू का राज आ जाएगा। इसके कारण हैं पीछे वह अमीर और गरीब का मामला है। उसमें कुछ और मामला नहीं है। महावीर नग्न खड़े हो गए वह एक राज पुत्र हैं। उन्होंने श्रेष्ठतम कपड़े पहने हैं अच्छे-अच्छे कपड़े भी अगर मिलते रहें। और आगे अच्छे कपड़े मिलने का दरवा जा बंद हो जाए, मतलब आखिरी कपड़े मिल जाएं तो उनसे वोर्डम शुरू हो जाती है , आदमी ऊबने लगता है। फिर वह आदमी कहता है अब गरीब होने का मजा लेना चाहिए। सिर्फ अमीर आदमी गरीव होने का मजा ले सकता है, यह ध्यान रखना। गरीब आदमी कभी गरीब होने का मजा नहीं ले सकता। गरीब आदमी को अमीर ह ने में थोड़ा बहुत मजा आ सकता है गरीब होने में नहीं। इसलिए गरीब अमीर होना चाहता है और जव अमीर अपनी अमीरी पर पहुंच जाता है तो फिर गरीवी की क ट्स शुरू हो जाती है। अभी मैं बनारस में था। हिप्पी और विटनीक और विटिल बनारस की सड़कों पर सैं कड़ों आते हैं। दो हिप्पी मुझसे मिलने आए। मैंने उनसे पूछा कि, 'तुम क्या कर रहे हो यह।' वह करोड़पतियों के लड़के हैं अमरीका में और बनारस की सड़कों पर दस पैसा मांग रहे हैं सड़कों पर खड़े होकर। मैंने उनसे पूछा कि, 'तुम यह कर क्या र हे हो? तुम्हारे पास सब कुछ है तुम बिना चप्पल के वनारस की गर्म सड़क पर चल रहे हो, झाड़ों के नीचे सो रहे हो, दस-दस पैसे भीख मांग रहे हो। तुम्हारे पास सव है।' उन्होंने मुझसे क्या कहा? उन्होंने मुझसे कहा, 'वह सब है लेकिन उससे हम ऊ व गए हैं। गरीवी बड़ा चेनज मालूम पड़ती है, बड़ा अच्छा लगता है।' हाथ फैलाकर मांग रहे हैं, वृक्ष के नीचे सो गए हैं बड़ा आनंद आता है। लेकिन यह आनंद किसको आ रहा है। यह बड़े महलों में जो ऊब गया है उसको। सड़क के कि नारे जो पड़ा है उसकी समझ के बाहर है कि कैसा आनंद आ रहा है आपको। बड़ा आदमी जिसके घर में दस-पच्चीस कारें हों, पैदल चलना चाहता है। कारों में मजा नहीं आता। पैदल चलना चाहता है, पैदल चलने में बड़ा सुख मालूम होता है। राकफ लर और मार्जन जैसे लोग जब सड़क पर पैदल चलते हैं तो सारी सड़क के लोग चौं क कर देखते हैं, राकफ्लर जा रहा है पैदल । एक गरीब आदमी भी निकलता है वह से पैदल, कोई उसकी तरफ नहीं देख रहा। और उस गरीब आदमी के बगल से क र थर्राती हुई निकलती है धूल उड़ाती हुई, उसकी छाती जल जाती है। सोचता है कव कार में वैलूं लोग कितना आनंद उठा रहे होंगे। कव मैं बैठू। Page 84 of 150 http://www.oshoworld.com

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