Book Title: Bharat ki Khoj
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Osho Rajnish

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Page 89
________________ भारत की खोज वीर के पास, इतने हाथी थे, इतने रत्न थे, इतने रथ थे , इतना यह था, इतना य ह था. इतना लंबा शिलशिला बताते हैं यह सब होने का क्यों? क्योंकि महावीर कि तने बड़े त्यागी थे। और तो कोई रास्ता नहीं त्याग का। कहानी वहत अदभत है महावीर की। कहानी यह है कि महावीर का पहले गर्भ एक ब्राह्मण के घर में हुआ। एक गरीव ब्राह्मणी के पेट में वो आए। कहानी बड़ी अर्थपू र्ण है। देवताओं ने कहा, 'ऐसा कभी हुआ है कि तीर्थांकर गरीव के घर में पैदा हुआ । और अगर गरीब के घर में पैदा होगा तो लोग पहचान ही नहीं सकेंगे। तो देवता ओं ने गरीब ब्राह्मणी के पेट से निकलकर महावीर को राजा की पत्नी के पेट में रख दिया। और राजा की पत्नी के पेट के गर्भ को निकाल कर ब्राह्मणी के पेट में रख दिया। देवताओं ने बड़ा अच्छा काम किया। नहीं तो महावीर को कभी कोई पहचान नहीं सकता था कि कितने बड़े त्यागी हैं। कितने ही बड़े त्यागी होते, लेकिन पहचान ना मुश्किल हो जाता क्योंकि तोलना मुश्किल हो जाता। रुपए से हम तोलते हैं त्याग को भी। और यह जो लोग निरंतर भौतिक वाद को गाली देते हैं। निरंतर, जब कोई आदमी कहता है मटिरियलिस्ट तो ऐसा लगता है कि बड़ी भारी निंदा कर रहा है वह। ले कन आपने कभी सोचा हर आदमी मटिरियलिस्ट है, हर आदमी। महावीर को भी भो जन करना पड़ेगा, और वुद्ध को भी, और भोजन मैटर है कोई आत्मा नहीं है। महा वीर को भी सांस लेनी पड़ेगी, कृष्ण को भी मुझको भी सांस लेनी पड़ेगी, आपको भी और सांस सांस मैटर है, कोई आत्मा नहीं है। जीना ही मैटर के भीतर है। जीना ह । पदार्थ के बीच है। जीवन ही पदार्थ के बीच है। तो पदार्थ से भागकर जाओगे कहां ? कैसे जाआगे? और सच तो यह है कि पदार्थ और जिसे हम परमात्मा कहते हैं य ह दो चीजें नहीं है एक ही चीज के दो नाम हैं। कहीं ऐसा नहीं है कि पदार्थ कुछ अलग है, और परमात्मा कुछ अलग है। पदार्थ जो दिखाई पड़ता है वह परमात्मा है। और परमात्मा जो पदार्थ नहीं दिखाई पड़ता है वह पदार्थ है। डिविज्विल पार्ट वह जो दिखाई पड़ता है परमात्मा उसका नाम पदार्थ है। द इनविज्वल मैंटर। जो पदार्थ नहीं दिखाई पड़ता उसका नाम परमात्मा है। परम त्मिा ही सघन होकर पदार्थ है। और पदार्थ ही विरल होकर परमात्मा है। कोई परम त्मिा और पदार्थ दो चीजें नहीं हैं। दोनों एक ही चीज के दो रूप हैं। इसलिए यह स व पागलपन की बातें हैं कि कोई कहे कि फलां मटिरियलिस्ट है और हम स्प्रिच्युलइस ट हैं। हम आध्यात्मवादी है, और फलां भौतिकवादी हैं। इस तरह की बातें सिर्फ अज्ञ न के सबूत है और कुछ भी नहीं। हां, यह हो सकता है कि एक आदमी पदार्थ पर ही रूक जाएं और आगे खोज ना करे कि पदार्थ के और सूक्ष्मतम लोग भी हैं जहां परमात्मा की. . .। आदमी पदार्थ पर रूक सकता है। लेकिन जो पदार्थ को ही नहीं पकड़ पाता, समझ पाता वह और आगे कैसे बढ़ पाएगा। वह सिर्फ गालियां दे सकता है, गालियां देने से तृप्ति मिलती है और कुछ भी नहीं होता। Page 89 of 150 http://www.oshoworld.com

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