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भारत की खोज
1. अन्यथा अहिंसक कभी नहीं हो सकेंगे। अगर हिंसक हैं तो अपनी हिंसा को जानना
जो आदमी अपनी हिंसा को जान लेता है वह अपनी हिंसा को बर्दाश्त नहीं कर स कता। हिंसा बर्दाश्त नहीं की जा सकती उसे बदलना ही पड़ता है। लेकिन जो आदम । हिंसा को अहिंसा के ढोंग में छिपा लेता है वह हिंसक बना रहता है और अहिंसा का गुणगान करता है। और तव तख्ती लगा लेता है 'अहिंसा परमो धर्मा। जहां भी यह तख्ती दिखे समझ लेना कि नीचे आसपास हिंसक आदमी वैठे होंगे। अि हसक आदमी 'अहिंसक परमो धर्मा' नहीं कहेगा, यह हिंसक आदमी ही कहता है। हदुस्तान में अहिंसा की कितने हजार सालों से चर्चा हो रही है। और कोई आदमी अ हिंसक है कोई समा नहीं सकती। हिंदुस्तान में जिनके हाथ में आज सत्ता है उन सब
ने अहिंसा का बहुत ढोंग पीटा, लेकिन सत्ता आने पर अंग्रेजों ने दो सौ साल की गू लामी में इतनी हिंसा नहीं की थी जितनी बीस साल के अहिंसकों ने की। आश्चर्यजन क है, जितनी गोली इन्होंने चलाईं, जितने लोगों की हत्या इन्होंने की, छोटे से मान ने से लेकर जितने इन्होंने लोगो को मारा इतना अंग्रेजों ने दो सौ वर्षों में नहीं मारा जितना इन्होंने वीस वर्षों में मार डाला। यह अहिंसक हैं वह हिंसक थे। हिंसक आदमी पर भरोसा किया जा सकता है। कम से कम वह सच्चा तो है। अहिंस क आदमी पर भरोसा करना बहुत मुश्किल है खतरनाक है। भीतर हिंसा है ऊपर से अहिंसा का ढोंग है। अहिंसकों ने अहिंसा की बातें चल रही हैं सैकड़ों वर्षों से, और हिंदुस्तान का समाज जरा भी अहिंसक नहीं है। पाकिस्तान का हमला हुआ, चीन क । हमला हुआ तो एक आदमी ने नहीं कहा कि अब अहिंसा का उपयोग करना चाहि ए। नहीं सवाल ही कहां है वह अहिंसा का उपयोग तो जब हम गुलाम थे, कमजोर थे और हिंसा नहीं कर सकते थे तब थी वह सब अहिंसा की बातचीत। वह सरासर धोखा था। कमजोरी को छिपा रहे थे अहिंसा के नाम से और अब जव हाथ में ताकत आ गई तव सीधी हिंसा की वातें कर रहे हैं। और साधारण लोगों क ो तो हम छोड़ दें जिनको हम बहुत अच्छे लोग कहते हैं उनके भीतर ही दोहरी पर तें होती हैं। उन्नीस सौ तीस के करीब, एक अदभूत घटना घटी। वह घटना यह थी कि पंजाब के एक गांव में, मुसलमानों के गांव में दंगा हो गया। और अंग्रेजों की यह नीति थी क अगर मुसलमानों का गांव हो और दंगा हो तो हिंदूओं की मिलेट्री भेजो वहां दवा ने के लिए। मिलेट्री तो दबाएगी ही, हिंदू होने की वजह से और दंगों को झौंक देगी।
अगर हिंदूओं को गांव में दंगा हो जाएं तो मुसलमानों को भेजो। तो वैसे तो दवाएं गे ही और हिंदू और मुसलमान की वजह से और छाती में छूरे भौंक देंगे। उस मुस लमान गांव को दवाने के लिए गोरखों की, सिखों की उनकी बटालियन भेजी गई। लेकिन वह अदभूत घटना घटी वहां, उस घटना को कीमत दी जानी चाहिए। वह ज
बटालियन भेजी गई थी उसने कह दिया की हम बंदूक चलाने से इनकार करते हैं हम अपने भाईयों पर बंदूक नहीं चलाएंगे। और उन्होंने जाकर वह सारी की सारी वं
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