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भारत की खोज
उसने कहा, 'मित्र! तुमसे मेरी क्या मित्रता है?' फिर भी उसने कहा, 'मैंने सिर्फ सं वोधन किया नाराज मत हो जाओ! मझे कछ सझा नहीं इसलिए मैंने यह संवोधन किया। यह सवाल महत्त्वपूर्ण नहीं है मैं तो कुछ और पूछने आया हूं। मैं यह पूछने आया हूं, वर्षा, धूप, रात दिन तुम अकेले खड़े रहते हो, ऊब नहीं जाते, घबरा नहीं जाते, वेचैन नहीं हो जाते।' वह नकली आदमी खिल-खिलाकर हंसने लगा। उसने कहा, 'बेचैन, ऊब, अरे! बड़ा आनंद है यहां। दूसरों को डराने में बड़ा आनंद आता है। पक्षी डर कर भागते हैं बहुत मजा आता है, जानवर डर कर भागते हैं बहुत म जा आता है, दूसरों को डराने में बहुत आनंद है, एक दम आनंद ही आनंद है।' उस दार्शनिक ने कहा कि, 'तुम ठीक कहते हो। नकली आदमियों को सिर्फ दूसरों क से डराने में ही आनंद आता है। और कोई आनंद नहीं आता। अपने पास बड़ी तिजो री है छोटी तिजारी वाला डर जाता है। अपने पास बड़ा मकान है, छोटा मकान वा ला डर जाता है। अपने पास दिल्ली का पद है, पूना का पद वाला डर जाता है। न कली आदमी को दूसरे को डराने में मजा आता है। उसका आनंद सिर्फ एक है, दूस रे को भयभीत। और ध्यान रहे जो आदमी दूसरे को भयभीत करने में आनंदित होत । है वह आदमी स्वयं भयभीत होना चाहिए। अन्यथा यह आनंद असंभव है। जो भय भीत है वही भयभीत करके आनंदित देता है, क्यों? क्योंकि जब वह दूसरे को भयभ ति कर देता है, तो उसे विश्वास आता है कि अब मैं भयभीत नहीं हूं। जव वह दूस रे को डरा देता है तो वह कहता है, 'बिलकुल ठीक, मुझसे दूसरे डरते है मुझे डरने
की क्या जरूरत है।' वह डराने के लिए है। किसी से ना डरने के लिए है । लेकिन चाहे डराने के लिए त लवार हो, चाहे ना डरने के लिए तलवार हो तुम डरे हुए आदमी हो। तलवार हर हालत में सिद्ध करती है। उस दार्शनिक ने कहा, 'बिलकुल ठीक कहते हो नकली आदमी सदा दूसरों को डराने में आनंद लेते हैं।' वह फिर खिल-खिलाकर हंसने लगा। और उसने कहा कि, 'तुम ने कभी कोई असली आदमी भी देखा। उस दार्शनिक से उस नकली आदमी ने पूछा , खेत पर तुमने कभी असली आदमी भी देखा।' उस नकली आदमी ने कहा, 'मुझे तो बड़ी हैरानी होती है, कि मुझे लोग नकली कहते हैं। मैंने तो सब आदमी ऐसे ह देखे हैं। हां, थोड़ा फर्क है कि मैं जरा चल फिर नहीं सकता। लेकिन चल फिर क र तुम करते क्या हो दूसरों को डराते ही हो ना, मैं बिना ही चले फिरे डरा लेता हूं । तो फर्क क्या है? जो काम मैं बिना चले कर लेता हूं वह तुम चल-फिर कर कर ते हो ना तुम्हारी सारी स्पीड, तुम्हारे यान, तुम्हारा चांद तक जाना, चांद तक जाने
के लिए है कि किसी को डराने के लिए।' वह जो रूस के यान चांद की तरफ भाग रहे हैं और अमरीका के वह चांद तक जा ने के लिए है चांद को ना रूस से मतलव ना अमरीका को रूस अमरीका को डराना
चाहता है, अमरीका रूस को डराना चाहता है। जो पहले पहुंच जाएगा वह डराने में समर्थ हो जाएगा। सारी गति डराने के लिए चल रही है। उस नकली आदमी ने
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