Book Title: Bharat ki Khoj
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Osho Rajnish

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Page 45
________________ भारत की खोज र टूथपेस्ट से कोई संबंध नहीं है लेकिन होशियार आदमी जानते हैं कि आदमी के दि माग को कंडिशन करने की तरकीब है। एक बच्चे को कहो कि नरक में आग जल रही है । और आग में पड़ते है वह लोग जो भगवान को नहीं मानते। बच्चा आग में डलने से डरता है कहता है, 'भगवान क जो नहीं मानते वह आग में जलते हैं ।' और स्वर्ग में क्या होता है कि वहां भगवा न मानते हैं वहां कल्प वृक्ष है उसके नीचे बैठ जाओ जो भी कामना करो फोरन हो जाती है। बच्चा कहता है, 'जो भी कामना करो!' उसके नीचे बैठ कर कहो खिलौना आ जाता है तो खिलौना आ जाता है बच्चा कहता है कि स्वर्ग ही जाना ठीक है ।' यह उसको प्रलोभन दे रहे हैं आप। उसके दिमाग को खराब कर रहे हैं उसका चिंत न खराब कर रहे हैं। जहर डाल रहे हैं और दोहराए चले जाओ। दोहराए चले जाअ ो। रोज रोज वही कहो कि बिनाका टूथपेस्ट, रेडियो खोले तो बिनाका टूथ पेस्ट। सड़ क पर निकलो तो विनाका टूथ पेस्ट, अव तो बिजली के नए नए आविष्कार है वष्कार पहले तो यह है कि बिजली के बल्ब स्थिर रहते थे। जले रहते थे अब वह जलते बूझते रहते हैं। वैज्ञानिकों ने कहा कि जलाओ बूझाओ क्योंकि अगर जले ही र हैं तो एक ही दफा पढता है आदमी और अगर बूझाओं बार-बार तो उसको बार-बा र पढ़ना पड़ता है। वह मजबूरी है। अब विनाका फिर बुझ गया, फिर जला फिर पढ़ ना पड़ेगा बिनाका। फिर बूझ गया फिर पढ़ना पडेगा । जितनी देर निकलो उसके नीचे से उतनी देर वह बूझेगा । और जब बार बार बूझेगा तो फिर मजबूरी है आपको दे खना पड़ेगा कि विनाका फिर विनाका, और वह दिमाग में घुसता चला जा रहा है। घूसा दिमाग में डालते रहो । फिर वह आदमी बाजार गया दूकान पर टूथपेस्टों की र लगा हुआ है। दूकानदार पूछता है, 'कौन सा टूथपेस्ट ?' वह कहता है, 'बिनाका । ' और वह सोचता है कि मैं सोच कर कह रहा हूं वह सोच कर नहीं कह रहा। उस के दिमाग की रील पर बिनाका ठोक दिया गया है। हेमर कर दिया गया है। अब व ह बेचारा कह रहा है बिनाका । अभी अमरिका में उन्होंने सर्वे किया। जो अमरिका में सुपर मार्केट बनाए हुए है वहां उन्होंने स्त्रियों का सर्वे किया जो स्त्रियां वहां सामान खरीदने आती हैं। और जिस न तीजे पर पहुंचे वह बड़ी हैरानी का है। उन्होंने जो नतीजा दिया वह यह है कि स्त्रिय ां जो चीजें खरीदने आती हैं वह तो खरीदती ही नहीं, दूसरी खरीदकर चली जाती हैं। आमतौर से स्त्रियों के बाबत यह सच है। यहां भी, अमरीका में भी, वह वो नहीं खरीदती जो खरीदने गई थीं। वह वो खरीद लाती हैं जो दूकानदार बेचना चाहता है। और बेचने के सब उपाय किए हुए हैं वहां के मनोवैज्ञानिक ने कहा हुआ है जो चीज बेचनी हो किस रंग के डिब्बे में होनी चाहिए । स्त्रियों को कौन-सा रंग जल्दी से उनके हृदय में उतर जाता । रंग, डिब्बे के भीतर क्या है इससे कोई मतलब नहीं है। तो वह वैज्ञानिक कहते हैं कि अगर उसी डिब्बे को लाल रंग में पोतकर रखो। तो सौ में नब्वे मौके उसके बिकने के उसको तीन रंग में रखो तो सौ में तीस मौके हैं Page 45 of 150 http://www.oshoworld.com

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