Book Title: Bharat ki Khoj
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Osho Rajnish

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Page 32
________________ भारत की खोज ए है उसकी उसे फिक्र नहीं है लेकिन उसकी पत्नी गहनों से लदी हुई है। यह उसकी इज्जत का मामला है। पत्नी तो खिलौना है पति का, इसलिए पत्नी कौन-सी साड़ी पहनती है उसकी इज्ज त अंतत: पति को मिलती है। पत्नी को नहीं पत्नी इस भल में ना रहे। पत्नी केव ल प्रदर्शन है। पति का प्रदर्शन है। पति की ताकत का, धन का, इज्जत का। और प त्नी को गुड्डी बनाकर रखना उसमें आदमियत आने नहीं देना। क्योंकि उसमें आदमिय ता आई तो वगावत शुरू हो जाएगी। तो स्त्री क्या करे वह गुड्डी वनकर बैठी हुई है वह सोचती है बहुत बड़ा आदर हो रहा है उसका। पति गहने लाकर दे रहा है, सा. डयां लाकर दे रहा है, उसे सोफा पर विठाए हुए है घर में नौकर लगा दिए हैं उसे कोई काम नहीं करना पड़ता, पत्नी बड़ी प्रसन्न है उसे पता नहीं कि यह प्रसन्नता का . . . यह प्रसन्नता वहुत मंहगी है। उससे आदमियत छीन ली गई। उसे केवल डिसप्ले का सामान बनाया गया है। वह ि सर्फ सामग्री है जिसका प्रदर्शन किया जा रहा है। और पति के अहंकार ने एक गहना जोड़ा गया है और वह गुड्डी बनी बैठी है। अव वह गुड्डी वनी वैठी क्या करे, गपशप ना करे तो और क्या करेगी। तो वह वैठकर फिजूल की बातें कर रही है। वह आ स-पास की पत्नियों के कपड़ों की, स्त्रियों के कपड़ों की वातें कर रही है। और किस का चरित्र कैसा है इसका विचार कर रही है। और उसकी खुद की आत्मा खो गई है उसका उसे पता ही नहीं है। स्त्रियों के पास आत्मा ही नहीं बची जिस दिन उन्हों ने गुड्डी वनने को राजी हो गई उनके पास कौन-सी आत्मा है। लेकिन पति चाहता न हीं कि स्त्रियों के पास आत्मा हो क्योंकि आत्मा खतरनाक चीज है। बहुत डेंजरस है। जिसके पास आत्मा होगी उसको गुलाम नहीं बनाया जा सकता। तब दुनिया में मित्र हो सकते हैं स्त्री और पुरुष । पत्नी और पत्नियां नहीं हो सकते । अगर दुनिया में वैज्ञानिक चिंतन लाना है तो आपको मानना पड़ेगा, समझना पड़ेगा कि यह किसी तरह की गुलामी नहीं चलेगी। ना आर्थिक गुलामी चलेगी, ना सेक्सुव ल स्लेविरी चलेंगे, ना और तरह की गुलामियां चलेंगी। किसी तरह की गुलामी नहीं चल सकती। क्योंकि वैज्ञानिक चिंतन सभी तरह की गृलामियों के विरोध हैं। अभी में अमृतसर में था। एक मित्र मुझसे कुछ पूछ रहे थे। मैंने उनसे कहा कि, 'सि त्रयों को स्वतंत्र होना चाहिए।' तो वह मित्र कहने लगे कि, लेकिन स्त्रियों को स्वतं त्रता की जरूरत क्या है।' वह मित्र पढे-लिखे हैं, जज हैं। वह कहने लगे स्त्रियों को स्वतंत्रता की जरूरत क्या है? मैंने उनसे कहा, 'अंग्रेज कहते थे कि भारतीयों को स्व तंत्रता की जरूरत क्या है?' और गलत नहीं कहते। मालिक कभी नहीं चाहता कि गृलाम स्वतंत्र हो। क्योंकि स्वतंत्र होने से मालिक के जितने स्वार्थ पूरे हो रहे हैं वह सव समाप्त हो जाएंगे। लेकिन फिर भी मैं कहता हूं, कि अंग्रेजों को तो भारत के स वतंत्र होने सिवाय नुकसान के कोई फायदा नहीं हुआ। लेकिन मैं आपसे यह कहना चाहता हूं कि जिस दिन स्त्रियां स्वतंत्र होंगी उस दिन पुरुष को फायदा होगा, स्त्रियों Page 32 of 150 http://www.oshoworld.com

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