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भारत की खोज
गर हजारों साल तक ऐसा किया गया हो तो बिलकल स्वभाविक है। लेकिन कौन क रता है यह वैज्ञानिक चिंतन के पैदा होने को कौन बाधा देता है। सब तरह के स्वर्थ वाधा देते हैं। सव तरह के स्वार्थ, सव तरह के स्वार्थ का यही हित है कि मनुष्य क म से कम ज्ञानी हो. कम से कम शिक्षित हो. वह कछ ना जाने। बिलकल ना जाने अंजाना रहे। अंजाने आदमी पर किसी भी तरह का शोषण किया जा सकता है। फिर शोषण के कई रूप हैं धार्मिक शोषण है. राजनैतिक शोषण है. सामाजिक शोष ण है, शिक्षा का शोषण है सब तरह का शोषण है। गुरुओं का शोषण है, ज्ञानियों क । शोषण है, सब तरह का शोषण है। इस शोषण को अगर उखाड फैकना हो तो संदे ह के बीज को अंकुरित करना जरूरी है। और मेरी मान्यता है संदेह परमात्मा का ि दया हुआ है, विश्वास पुरोहित का दिया हुआ है और मेरा यह भी मानना है और मैं
आपको कहना चाहूंगा इस पर सोचना, जो आदमी संदेह करेगा वह किसी दिन उस जगह पहुंच जाएगा जहां सब संदेह गिर जाते हैं। और जहां श्रद्धा उत्पन्न होती है। लेकिन वह श्रद्धा बहुत दूसरी वात वह विदित नहीं। वह ज्ञान से आया हुआ वोध । जो आदमी संदेह से यात्रा करता है वह एक दिन श्रद्धा को उपलब्ध होता है। यह बड़ी मजे की बात है और जो आदमी विश्वास से यात्रा करता है वह हमेशा संदे ह में ही जीता है और मरता है। वह कभी श्रद्धा को उपलब्ध नहीं होता। क्योंकि उ सने विश्वास कर लिया। और भीतर उसके संदेह है संदेह वह परमात्मा के घर से ले कर आया हुआ पैदाइश से साथ लेकर आया हुआ है। भीतर संदेह है ऊपर विश्वास है। वह भीतर संदेह बना रहेगा, छिपा रहेगा, कभी-कभी सिर उठाएगा आप डरकर उसको दवा देना। और ऊपर से विश्वास को ओढ़े रहना। वह विश्वास कभी-भी आप के प्राणों तक नहीं पहुंचेगा। इसीलिएतो विश्वास करने वाले लोग बहुत डरते हैं। हिंदू ग्रंथों में लिखा है, ऐसा ही जैन ग्रंथों में लिखा है लिखा है हिंदू ग्रंथों में कि, 'अ गर पागल हाथी भी तुम्हारे पीछे पड़ा हो और जैन मंदिर आ जाए तो तुम पागल ह थी के पैर के नीचे दवकर मर जाना ठीक समझना, लेकिन जैन मंदिर में मत जाना ! क्यों? क्योंकि वहां अगर जैन शास्त्रों की बातें सुन ली तो संदेह पैदा हो सकता है।
यही बात जैन ग्रंथों में भी लिखी है कि हिंदू मंदिर में मत जाना, पागल हाथी के पैर के नीचे दबकर मर जाना क्योंकि वहां अगर गए मंदिर में और तुमने कोई ऐसी बात सुन ली कि धर्म से चित्त डगमगा जाएं और भटक जाओ। दुनिया के सब धर्म सीखाते हैं किसी दूसरे की बात मत सुनना, यह सबूत है इस बात का कि यह धर्म जो बातें कह रहे हैं कमजोर नपुंसक बातें हैं इसलिए दूसरी बातें सुनने से डरती हैं। ज्ञान कभी डरता नहीं अज्ञान हमेशा डरता है। जो धर्म गुरु कहते हैं कान में हाथ डाल लेना नास्तिक की बात मत सुनना वह धर्म गुरु झूठे हैं और उनकी बातों को मानने वाले लोग अपनी आत्मा का हन्न कर रहे हैं । क्योंकि जो वात किसी की बात सुनने से नष्ट हो जाती है वह दो कौड़ी की है। उ सका कोई मूल्य नहीं है जो वात सभी संदेहों के वीच भी टिकती है और जीती है अ और बच जाती है वही सत्य है। संदेह की अग्नि से जो गुजर कर बच जाता है उसी
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