Book Title: Bharat ki Khoj
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Osho Rajnish

View full book text
Previous | Next

Page 36
________________ भारत की खोज का नाम सत्य है। संदेह के गजरने से ही जो डर जाता है उसका नाम असत्य है। सं देह की आग से जो डरता है वही है असत्य। और संदेह की आग से जो गुजरता है वही है सत्य। सोना नहीं कहता कि मैं आग से नहीं निकलंगा क्योंकि मैं जल जाऊंगा। लेकिन सोने के साथ जो कचरा लगा है वह कहता है नहीं नहीं आग से मत गुजरना, आग में बड़ी मुश्किल होती है सब जल जाता है। सोना तो निकल जाता है आग से, कचरा जल जाता है। सोना निखर कर बाहर आ जाता है। सत्य को कोई संदेह नहीं मिटा सकता। असत्य को मिटा सकता है। और इसलिए मैं कहता हूं, जितने लोगों ने विश् वास करना सिखाया है उन्होंने जरूर किसी-ना-किसी असत्य के आधार पर विश्वास का भवन खडा किया होगा। विश्वास की शिक्षा असत्य के लिए देनी पड़ती है। सत्य के लिए विश्वास की कोई शिक्षा नहीं। सत्य के लिए शिक्षा है संदेह की । और वि ज्ञान सत्य की तरफ जाने की यात्रा है।' लेकिन आप कहेंगे फिर धर्म क्या है? तो मैं आपसे कहना चाहता हूं कि धर्म भी वि ज्ञान है। धर्म अंतर विज्ञान है। वह साईंस आफ इनर वह जो भीतर है उसका विज्ञान है। और जिसको हम विज्ञान कहते हैं वह बाहर का विज्ञान है साईस आफ दा आ ऊटर। वह जो बाहर फैला हुआ जगत है। वह एक ही विज्ञान के दो पहलू हैं अगर वाहर कोई संदेह से खोज करेगा तो जिसका हम साईंस कहते हैं उसका जन्म होता है और भीतर अगर कोई संदेह से खोज करेगा तो जिसे मैं धर्म कहता हूं उसका जन् म होता है। जिसे आप धर्म कहते हैं उसका नहीं। आप तो उसे धर्म कहते हैं जिसे अंधा होकर मानना पड़ता है जिसकी खोज नहीं कर नी पड़ती। जिसकी खोज कोई महावीर पहले कर चुके हैं। जिसकी खोज कोई बुद्ध प हले कर चुके, जिसकी खोज कोई मौहम्मद पहले कर चुके उसको मान लेना पड़ता है। ऐसा धर्म अवैज्ञानिक है और ऐसे धर्म के लिए विश्वास की शिक्षा जरूरी है। इसी लिए धार्मिक मुल्क वैज्ञानिक नहीं हो पाते। मेरी दृष्टि में तो जो वैज्ञानिक नहीं हैं। वह धार्मिक भी नहीं है। झूठा है उसका धर्म, भारत जैसा देश वैज्ञानिक नहीं हो पात T। क्योंकि भारत जैसे देश के मन में झूठे मन की प्रतिष्ठा है। विज्ञान का जन्म कैसे होगा। झूठे धर्म को जानना पड़ेगा। विज्ञान आएगा, और विज्ञा न के साथ ही सच्चा धर्म भी आएगा। जो धर्म विज्ञान की कसौटी पर खरा ना उतर ता हो वह धर्म कैसे सच्चा हो सकता है। कसौटी तो सदा वैज्ञानिक चिंतन है, कसौट । सदा वैज्ञानिक तर्क है, कसौटी सदा विज्ञान की संदेह की अग्नि है। तो जिन मित्र ने पूछा है कि, क्या है आधारभूत बात जिसकी वजह से पश्चिम से शक्षा लेकर भी कोई आता है और वैज्ञानिक नहीं हो पाता वह आधारभूत बात यह है कि भारतीय मानस अवैज्ञानिक है। वह इंडियन माइंड अवैज्ञानिक है। पश्चिम की ि शक्षा से क्या होगा। और ऐसा नहीं है कि पश्चिम में सब चित्त वैज्ञानिक हैं। पश्चिम में भी थोड़े से लोगों से लोगों ने हिम्मत करके विज्ञान को जन्म दिया है। Page 36 of 150 http://www.oshoworld.com

Loading...

Page Navigation
1 ... 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150