Book Title: Aspect of Jainology Part 3 Pandita Dalsukh Malvaniya
Author(s): M A Dhaky, Sagarmal Jain
Publisher: Parshwanath Vidyapith
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( २३ ) प्रस्तावना-जैन साहित्य का बृहद् इतिहास १९६६ प्रस्तावना-प्रमाणमीमांसा (हिन्दी अनुवाद) प्रस्तावना-दशवैकालिकचूणि-सं० मुनिश्री पुण्यविजयजी, प्राकृत टेक्स्ट सोसायटी, १९७३ प्रस्तावना-भ० महावीर-एक अनुशीलन (मूल्यांकन) १९७४
ग्रन्थावलोकन १. ज्ञानोदय समालोचना, श्रमण १-५, मार्च ५० । २. कल्याण-हिन्दू संस्कृति अंक समालोचना, श्रमण १-८, जून ५० ३. जैन दृष्टिए योग (मो० गि० कापडिया) समालोचना, श्रमण ५-१० अगस्त ५४ ४. महावीर वाणी--समालोचना, प्रबुद्ध जीवन, १५-५-५५ ५. महावीर का अन्तस्तल (सत्यभक्त)-समालोचना, प्रबुद्ध जीवन, १५-८-५५ ६. योगशतक सं० इन्द्रकला झवेरी-समालोचना, प्रबुद्ध जीवन, १-८-५५ ७. निग्रंथ भगवान महावीर (जयभिक्खु)-समालोचना, प्रबुद्ध जीवन, १-९-५६ ८. आचार्य श्री विजय वल्लभसूरि स्मारक ग्रन्थ-समालोचना, प्रबुद्ध जीवन, १-९-५६ ९. श्री मोरारजी भाई देसाई (अंबेलाल जोशी)-समालोचना, प्रबुद्ध जीवन, १-७-६० १०. भारतनो लोकधर्म (डाँ० वासुदेव शरण अग्रवाल)-समालोचना, ग्रन्थ, जून ६५ 11. Padmananda-Pancavimsati (Review)-J. O. I. Baroda Vol.12, P. 461, 1963 12. Atmanusasana (Review)-J. O. I. Vol. 12, P. 460, 1963 13. Pras'astapadabhasya (Review)-J. O. I. Baroda, Vol. 15, P. 108, 1965. १४. विनोबा- अध्यात्मदर्शन-विनोबाकृत 'अध्यात्मदर्शन' नु अवलोकन ग्रन्थ दि० १९६५ 15. Critique of Indian Realism (Review)-Journal of B. O. I. Baroda. Vo 1. 16,
P. 389, June 1967 16. Society at the time of Buddha (Review)-J. O. I. Baroda Vol. 18, P. 265
1969 १७. न्याय अने वैशेषिक दर्शनोनी समीक्षा-डॉ० नगीन साहना न्याय-वैशेषिक ग्रंथनी समा
लोचना, ग्रंथ, अक्टबर, १९७४ १८ सांप्रदायिकता से ऊपर उठो-लेखक पं० उदय जैन–श्री जैन शिक्षण संघ, कानोड १९७६ १९. स्वाध्याय-ये मथाणे गंथोनां अवलोकनो-संबोधि ४, ३-४, १९७५-७६, ५-१ अप्रैल ७६
६-१-२-१९७७, ७-३-४ १९७७-७८ २०. "आयारो" की समालोचना, संबोधि ३-४-१९७७-७८
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