Book Title: Aspect of Jainology Part 3 Pandita Dalsukh Malvaniya
Author(s): M A Dhaky, Sagarmal Jain
Publisher: Parshwanath Vidyapith
View full book text
________________
( २१ ) संघभेद के पाप के भागी न बनें : जैन प्रकाश २२-४-'६६, (गुज० से अनुवाद) जैन गुणस्थान और बोधिचर्याभूमि : वाराणसेय सं० विश्वविद्यालय के बौद्धयोग
और अन्य भारतीय साधनाओं का समीक्षात्मक अध्ययन-सेमिनार का निबंध २१-२-७१
संबोधि १, २ आचारांग का श्रमणमार्ग
मगध युनि. बोधगया की संगोष्ठी-Contritution of Prakrit and Pali to Indian
Culture, 26-2-71 निर्गन्थ का चातुर्याम धर्म
जर्नल-गंगानाथ झा केन्द्रिय संस्कृत विद्यापीठ 'सर्ववारिवारितो' का अर्थ : जुलाई-अक्टूबर '७१ भगवान महावीर की अहिंसा
: उदयपुर युनि० सेमिनार २-६-७३ भगवान महावीर का मार्ग
: जैन संदेश, २७-१२-'७३ भगवान महावीर के प्राचीन वर्णक : मुनिद्वय अभिनंदन ग्रंथ '७३ भगवान महावीर-समताधर्म के प्ररूपक : श्रमण, नवम्बर-दिसम्बर '७४. भगवान महा
वीर स्मृति ग्रन्थ लखनउ ३-११-'७५ भगवान महावीर का धर्म-सामायिक : 'वीर परिनिर्वाण' १. १० मार्च '७५ निश्चय और व्यवहार-पुण्य और पाप : गुज० से अनु० श्रमण, अगस्त, '७४ भगवान महावीर की अहिंसा
Seminar on-Contribution of Jainism to Indian Culture", Ed. Dr. R. C.
Dwivedi; Motilal Banarsidass, Delhi,75 सत्तरहवीं सदी के स्थानकवासी जैन कवि, : अभिनंदन ग्रंथ १९८६ जैन पत्र पत्रिकायें
: तीर्थंकर जुलाई ७८, पू० सहजानन्द द्वारा दी गई अनुपमदार्शनिक विद्या की विरासत,
: सहजानन्द, अक्टूबर १९८८ : जैनधर्म
: भारत सर० द्वारा प्रकाशित विश्व के
धर्म में १९८८
ENGLISH Lord Mahavira's Anudharmika Conduct-जैनयुग, मार्च-अप्रैल, ६० Some of the Common features in the life-stories of the Buddha and Mahävira.
-Proceedings of AIOC, Gauhati 1965:
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org