Book Title: Aspect of Jainology Part 3 Pandita Dalsukh Malvaniya
Author(s): M A Dhaky, Sagarmal Jain
Publisher: Parshwanath Vidyapith
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( १९ ) भगवान महावीर और महात्मा गांधी : तरुण जैन, सितंबर '४७. संन्यासमार्ग-उत्थान, पतन और परिवर्तन : तरुण जैन, जनवरी '४८
मूल गु. 'जैन' २३-९-'४७ आधुनिक गुजराती साहित्य का दिग्दर्शन : जनवाणी, मई '४८ प्राणशक्ति कहाँ गई
: तरुण जैन, मई-जून '४८ क्षमाश्रमण गांधी जी ( गुज. से अनु.) : नया समाज, अगस्त '४८ भक्तिमार्ग और जैन दर्शन
: जनवाणी, अप्रैल '४९ श्रमण महावीर का संघ
: श्रमण, जुलाई '४९ धर्मका पुनरुद्धार और संस्कृति का नवनिर्माण : श्रमण, जन. '५०, नया समाज, अक्टू. '४९ बनारस में एक सांस्कृतिक अनुष्ठान : श्रमण, १. १. नवम्बर '४९ जैनधर्म और जातिवाद
: श्रमण, १. २. दिसम्बर '४९ बालदीक्षा मत दो
: तरुण, दिसंबर, '४९ दक्षिण हिन्दुस्तान और जैनधर्म : श्रमण, मार्च '५० बौद्ध धर्म
: श्रमण १.७ मई '५० चातुर्मास
: श्रमण, अगस्त '५० जैन और हिन्दू
: श्रमण १. ११ सितम्बर ५० भ. महावीर और मार्क्सवाद
: श्रमण, अक्टूबर '५० 'न्यायसंपन्नविभवः'
: श्रमण २. १ नवम्बर '५० आत्महित बनाम परहित
: श्रमण २. ३ जनवरी '५१ 'मुझे शीघ्र भूल जाना'
: तरुण, फरवरी-मार्च '५१ संन्यासमार्ग और महावीर
: 'आज' १-४-'५१, श्रमण, मार्च ५३ बनारस से जैनों का संबंध
: श्रमण २.७ मई '५१ भक्तिमार्ग का सिंहावलोकन
: श्रमण २. ६ जुलाई '५१ साधुसमाज और निवृत्ति
: श्रमण ३. २ दिसम्बर ५१ श्रद्धा का क्षेत्र
: श्रमण ३. ५ मार्च '५२ मार्गदर्शक महावीर
: श्रमण ३.६ अप्रैल '५२ सादडी के दो सम्मेलन
: श्रमण ३.७-८ मई-जून '५२ श्रद्धा का क्षेत्र
: श्रमण, मार्च '५२ क्या मैं जैन हूँ
: श्रमण ३. १० अगस्त '५२ गुजरात के लोक कवि मेघाणी
: जनपद '५२
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