Book Title: Aspect of Jainology Part 3 Pandita Dalsukh Malvaniya
Author(s): M A Dhaky, Sagarmal Jain
Publisher: Parshwanath Vidyapith
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८८. जैनधर्मना आराध्यदेवो - विद्या, Vol. xvi No, 3 Aug, 73 ८९. विश्व संस्कृत सम्मेलन -- प्रबुद्ध जीवन, १९७३
९०. जैनधर्मनो प्राण - वही, १-१०- ७३
९१. सरकार अने धार्मिक शिक्षण - जैनप्रकाश, ८ नवम्बर, १९७४
९२. जैनधर्मना केन्द्रवर्ती सिद्धान्तो - अहिंसा, अपरिग्रह अने अनेकांत जनसत्ता, १३-११-७४ ९३. जैन महाभारत कथाः साहित्य
जैन महाभारत कथाः आस्वाद
महाभारत सेमिनार, गुजरात युनि० १८-५-७५ ( अप्रकाशित ) ९४. बौद्धयोगाचार संमत विज्ञानाद्वैत, संगोष्ठि, १-६-७७ नुं व्याख्यान ( अप्रकाशित ) ९५. पेरिसनो प्रवास - इट अने इमारत, गुजरात समाचार, २८-७-७७
९६. पेरिसनी संस्कृत परिषद मां-परख, अगस्त १९७७
९७. भगवान महावीरनां प्राचीन वर्णको -संप्रसादः, श्री चतुर्भुज पूजरा अभिनन्दन ग्रन्थ
१९७७
९८. सदाचारः सामाजिक अने वैयक्तिक - जनकल्याण, सदाचार विशेषांक
९९. जैनधर्म अने शैवधर्म-अप्रकाशित
१०० सन्मति नु संपादन - परख १९७६
१०१. विद्यानिष्ठ समभाव पं० बेचरदास - प्रबुद्ध जीवन १६-१-८३
१०२. विद्या अने सेवानिष्ठ अमनलाल - प्रबुद्ध जीवन १-१-८२
१०३. अंतरिक्ष तीर्थ, जिन सन्देश ७-१-८२
१०४. संप्रसाद, (संप्रसाद, अगस्त ७८ )
१०५. जैन जीवन प्रबुद्ध कुमार - ( प्र० जीवन, १-११-७८ )
१०६. पूनानी वा संगोष्ठी, भाषा विमर्श जुलाई ७९
१०७. आचार्य तुलसी द्वारा नवो प्रयोगो - प्रबुद्ध जीवन १ - १२-८०
१०८. तीर्थंकर ऋषभदेव - धर्मलोक, २४-१-८४
१०९. भगवान महावीरना गणधरवाद - धर्मलोक, १०-९-८०
निबंध (हिन्दी)
स्त्रियों को उनके अधिकार दो जैन संस्कृति का संदेश
जैन दार्शनिक साहित्य का सिंहावलोकन
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जैन प्रकाश ४ - ६– '२९.
: विश्ववाणी, सितंबर, '४२.
:
प्रेमी अभिनंदन ग्रंथ, अक्टूबर ४६०
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