Book Title: Aspect of Jainology Part 3 Pandita Dalsukh Malvaniya
Author(s): M A Dhaky, Sagarmal Jain
Publisher: Parshwanath Vidyapith
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( २० ) 'असंयत जीव का जीना चाहना राग है' : श्रमण ४. ३ जनवरी '५३ भौतिकता और अध्यात्म का समन्वय : श्रमण ४. ६ अप्रैल '५३ व्यक्तिनिष्ठा का पाप
: तरुण १५-५-५३ मलधारी अभयदेव और हेमचन्द्राचार्य : श्रमण ४. १२ अक्टूबर '५३ भगवान महावीर
: जैन जगत, अप्रैल-मई '५३ सिद्धिविनिश्चय और अकलंक
: जैन संदेश, श्रमण ५. ४ फरवरी '५४ भ० महावीर के गणधर
: श्रमण ५. ५ मार्च ५४ उपशमन का आध्यात्मिक पर्व
: श्रमण ५. ११ सितम्बर ५४ जैन साहित्य के इतिहास की प्रगति
श्रमण ६. २ दिसम्बर ५४ भ. महावीर का मार्ग
: श्रमण ६. ६-७ अप्रैल-मई '५५ एकान्त पाप और पुण्य (गुज० से अनुवाद) : जैन भारती ५-१०-५५,
श्रमण ६. १२ अक्टूबर '५५ बाल दीक्षा
: तरुण १-२-५६ महावीर भूले
: श्रमण अप्रैल ७, ६ '५६ प्रज्ञाचक्षु पं० सुखलाल जी
: राष्ट्रभारती ६. १० अक्टूबर '५६ आचार्य मल्लवादी का नयचक्र
: श्रीमद्रराजेन्द्रसूरि स्मारकग्रन्थ '५७ आगम झूठे हैं क्या ?
: श्रमण ८. ६ अप्रैल '५७ आचरांगसूत्र
: श्रमण अक्टूबर ५७ से अगस्त '५८ तक पार्श्वनाथ विद्याश्रम आदि विद्यासंस्थाएं : प्रज्ञा '५८, श्रमण ११. २ दिसम्बर ५६ श्रमण-ब्राह्मण
: जैनयुग, अप्रैल, '५६ अकलंक, अनुयोग, अभिसमय, अवधिज्ञान, आजीविक
: हिन्दी विश्व कोष '६० दर्शन और जीवन ( गुज. से हिन्दी अनु.) : विजयानंद, नवम्बर '६१ से फरवरी '६२ तक आचार्य श्री आत्माराम जी का मार्ग : जैन प्रकाश १५-२-६२ संथारा आत्महत्या नहीं है
: श्रमण, अक्टूबर '६२ लोकाशाह और उनकी विचारधारा : गुरुदेव श्री रत्नमुनि स्मृति ग्रंथ '६४ भगवान बुद्ध और भगवान महावीर : श्रमण, फरवरी '६५ ( गुज० से अनु०)
विजयानंद, मार्च '६५ लोकाशाह के मतकी दो पोथियाँ : मुनि श्री हजारीमल स्मृति ग्रन्थ '६५ जैनदर्शन का आदिकाल
: पू० पुष्कर मुनि अभिनन्दन ग्रन्थ
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