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आकांक्षाओं का परित्याग कर दो।' सुख का यही राजमार्ग है। यदि इच्छाओं का सम्पूर्ण त्याग करने की क्षमता तुम अपने अन्दर नहीं पाते, तो इच्छाओं का परिमाण कर लो । यह भी सुख का एक अर्ध-विकसित मार्ग है । संसार में भोग्य पदार्थ अनन्त है । किस-किस की इच्छा करोगे, किस-किस को भोगोगे । पुद्गलों का भोग अनन्त काल से हो रहा है, क्या शान्ति एवं सुख मिला ? सुख तृष्णा के क्षय में है, सुख इच्छा के निरोध में