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आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद
और शीतोष्ण योनि भी होती है । सम्मूर्छिम मनुष्यो को इसी तरह जानना । गर्भज मनुष्यों की केवल शीतोष्ण योनि होती है ।
भगवन् ! वाणव्यन्तर देवों की योनि क्या शीत है, उष्ण है अथवा शीतोष्ण है ? गौतम ! उनकी शीतोष्ण योनि होती है । इसी प्रकार ज्योतिष्कों और वैमानिक देवों को समझना । भगवन् ! इन शीतयोनिको जीवों उष्णयोनिक जीवों, शीतोष्णयोनिक जीवों तथा अयोनिक जीवों में से कौन किनसे अल्प हैं, बहुत हैं, तुल्य हैं, अथवा विशेषाधिक हैं ? गौतम ! सबसे थोड़े जीव शीतोष्णयोनिक हैं, उष्णयोनिक जीव उनसे असंख्यातगुणे, उनसे अयोनिक जीव अनन्तगुणे और उनसे शीतयोनि जीव अनन्तगुणे हैं ।
[३५८] भगवन् ! योनि कितने प्रकार की है ? गौतम ! तीन प्रकार की । सचित्त योनि, अचित्त योनि और मिश्र योनि । भगवन् ! नैरयिकों की योनि क्या सचित्त है, अचित्त है अथवा मिश्र है ? गौतम ! नारकों की योनि केवल अचित्त होती है । इसी तरह असुरकुमार से स्तनितकुमार तक जानना । पृथ्वीकायिक जीवों की योनि सचित्त, अचित्त और मिश्र होती है । इसी प्रकार चतुरिन्द्रिय तक समझना । सम्मूर्छिम पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिकों एवं सम्मूर्छिम मनुष्यों में भी इसी प्रकार जानना । गर्भज पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिकों तथा गर्भज मनुष्यों की योनि मिश्र होती है । वाणव्यन्तर, ज्योतिष्क एवं वैमानिक देवों की योनि अचित है ।
भगवन् ! इन सचित्तयोनिक जीवों, अचित्तयोनिक जीवों, मिश्रयोनिक जीवों तथा अयोनिकों में से कौन, किनसे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक होते हैं ? गौतम ! मिश्रयोनिक जीव सबसे थोड़े होते हैं, (उनसे) अचित्तयोनिक जीव असंख्यातगुणे, (उनसे) अयोनिक जीव अनन्तगुणे, उनसे सचित्तयोनिक जीव अनन्तगुणे हैं ।
[३५९] भगवन् ! योनि कितने प्रकार की है ? गौतम ! तीन प्रकार की । संवृत योनि, विवृतयोनि और संवृत-विवृतयोनि । भगवन् ! नैरयिकों की योनि क्या संवृत होती है, विवृत्त होती है अथवा संवृत-विवृत है ? गौतम ! नैरयिकों की, योनि केवल संवृत होती है। इसी प्रकार वनस्पतिकायिक जीवों तक कहना । द्वीन्द्रिय जीवों की योनि विवृत होती है । इसी प्रकार चतुरिन्द्रिय जीवों तक जानना । सम्मूर्छिम पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक एवं सम्मूर्छिम मनुष्यों में ऐसा ही है । गर्भज पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक और गर्भज मनुष्यों की योनि संवृतविवृत होती है । वाणव्यन्तर, ज्योतिष्क और वैमानिक देवों की योनि संवृत्त होती है ।
भगवन् ! इन संवृतयोनिक, विवृतयोनिक, संवृत-विवृतयोनिक तथा अयोनिक जीवों में से कौन किनसे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक होते हैं ? गौतम ! सबसे कम संवृत-विवृतयोनिक जीव हैं, (उनसे) विवृतयोनिक जीव असंख्यातगुणे, (उनसे) अयोनिक जीव अनन्तगुणे, उनसे संवृतयोनिक जीव अनन्तगुणे हैं ।
[३६०] भगवन् ! योनि कितने प्रकार की है ? गौतम ! तीन प्रकार की । कूर्मोनता, शंखावर्ता और वंशीपत्रा । कूर्मोन्नता योनि में उत्तमपुरुष गर्भ में उत्पन्न होते हैं । जैसे-अर्हन्त, चक्रवर्ती, बलदेव और वासुदेव । शंखावर्ता योनि स्त्रीरत्न की होती है । शंखावर्ता योनि में बहुत-से जीव और पुद्गल आते हैं, गर्भरूप में उत्पन्न होते हैं, चय-उपचय होता है, किन्तु निष्पत्ति नहीं होती । वंशीपत्रा योनि सामान्यजनों की होती है । उनमें में साधारण जीव गर्भ में आते हैं ।
पद-९ का मुनिदीपरत्नसागर कृत् हिन्दी अनुवाद पूर्ण