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प्रज्ञापना-११/-/३७५
(पद-११-"भाषा") [३७५] भगवन् ! मैं ऐसा मानता हूँ कि भाषा अवधारिणी है; मैं ऐसा चिन्तन करता हँ कि भाषा अवधारिणी है; भगवन् क्या मैं ऐसा मानूं ? क्या ऐसा चिन्तन करूं कि भाषा अवधारिणी है ? हाँ, गौतम ! यह सर्व सत्य है ।
भगवन् ! अवधारिणी भाषा क्या सत्य है, मृषा है, सत्यामृषा है, अथवा असत्यामृषा है ? गौतम ! वह कदाचित् सत्य होती है, कदाचित् मृषा होती है, कदाचित् सत्यामृषा होती है और कदाचित् असत्याभाषा (भी) होती है । भगवन् ! किस हेतु से ऐसा कहते हैं ? गौतम ! आराधनी (भाषा है, वह) सत्य है, विराधनी भाषा) मृषा है, आराधनी-विराधनी सत्यामृषा है, और जो न आराधनी है, न विराधनी है और न ही आराधनी-विराधनी है, वह असत्यामृषा भाषा है । हे गौतम ! इस हेतु से ऐसा कहा जाता है कि अवधारिणी भाषा कदाचित् सत्य यावत् कदाचित् असत्यामृषा है ।
[३७६] भगवन् ! 'गायें', 'मृग', 'पशु', 'पक्षी' क्या यह भाषा प्रज्ञापनी है ? यह भाषा मृषा नहीं है ? हाँ, गौतम ! ऐसा ही है । भगवन् ! जो स्त्रीवचन, पुरुषवचन अथवा नपुंसकवचन है, क्या यह प्रज्ञापनी भाषा है ? यह भाषा मृषा नहीं है ? हाँ, ऐसा ही है ।
भगवन् ! यह जो स्त्री-आज्ञापनी, पुरुष-आज्ञापनी अथवा नपुंसक-आज्ञापनी है, क्या यह प्रज्ञापनी भाषा है । यह भाषा मृषा नहीं है ? हाँ, गौतम ! ऐसा ही है । जो स्त्री-प्रज्ञापनी है और जो पुरुष-प्रज्ञापनी है, अथवा जो नपुंसक-प्रज्ञापनी है, यह प्रज्ञापनी भाषा है और यह भाषा मृषा नहीं है । जाति में स्त्रीवचन, जाति में पुरुषवचन, अथवा जाति में नपुंसक वचन, यह प्रज्ञापनी भाषा है और यह भाषा मृषा नहीं है । जाति में जो स्त्री-आज्ञापनी है, जाति में जो पुरुष-आज्ञापनी है, या जाति में जो नपुंसक-आज्ञापनी है, यह प्रज्ञापनी भाषा है और यह भाषा मृषा नहीं है । जाति में जो स्त्री-प्रज्ञापनी है, जाति में जो पुरुष-प्रज्ञापनी है, अथवा जाति में जो नपुंसक-प्रज्ञापनी है, यह प्रज्ञापनी भाषा है और यह भाषा मृषा नहीं है । .
[३७७] भगवन् ! क्या मन्द कुमार अथवा मन्द कुमारिका बोलती हुई ऐसा जानती है कि मैं बोल रही हूँ ? गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं है, सिवाय संज्ञी के | भगवन् ! क्या मन्द कुमार अथवा मन्द कुमारिका आहार करती हुई जानती है कि मैं इस आहार को करता हुं या करती हूँ ? गौतम ! संज्ञी को छोड़ कर यह अर्थ समर्थ नहीं है । भगवन् ! क्या मन्द कुमार अथवा मन्द कुमारिका यह जानते है कि ये मेरे माता-पिता हैं ? गौतम ! पूर्ववत् । भगवन् ! मन्द कुमार अथवा मन्द कुमारिका क्या यह जानते है कि यह मेरे स्वामी का घर है ? गौतम ! पूर्ववत् । भगवन् ! क्या मन्द कुमार या मन्दकुमारिका यह जानते है कि यह मेरे भर्ता का दारक है । गौतम ! पूर्ववत् । - भगवन् ! ऊंट, बैल, गधा, घोड़ा, बकरा और भेड़ क्या बोलता हुआ यह जानता है कि यह मैं बोल रहा हूँ ? गौतम ! संज्ञी को छोड़ कर यह अर्थ शक्य नहीं है । भगवन् ! उष्ट्र से एलक तक आहार करता हुआ यह जानता है कि में यह आहार कर रहा हूँ ? गौतम ! पूर्ववत् । भगवन् ! ऊँट यावत् एलक क्या यह जानता है कि यह मेरे स्वामी का पुत्र है ? गौतम संज्ञी को छोडकर यह अर्थ समर्थ नहीं है ।