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आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद
भाग की है । गर्भज मनुष्यों के तथा इनके पर्याप्तकों की जघन्यतः अंगुल के असंख्यातवें भाग, उत्कृष्टतः तीन गव्यूति है ।।
[५१६] वैक्रियशरीर कितने प्रकार का है ? गौतम ! दो प्रकार का, एकेन्द्रिय-वैक्रियशरीर और पंचेन्द्रिय-वैक्रियशरीर । यदि एकेन्द्रिय जीवों के वैक्रियशरीर होता है, तो क्या वायुकायिक का या अवायुकायिक को होता है ? गौतम ! केवल वायुकायिक को होता है । वायुकायिकएकेन्द्रियों में बादरवायुकायिक को वैक्रियशरीर होता है । बादर-वायुकायिक-एकेन्द्रिय में पर्याप्तबादर-वायुकायिक को वैक्रियशरीर होता है । यदि पंचेन्द्रियों के वैक्रियशरीर होता है तो क्या नारकपंचेन्द्रिय को होता है, अथवा यावत् देव-पंचेन्द्रिय को ? गौतम ! नारक-पंचेन्द्रियों यावत् देव-पंचेन्द्रियों को भी होता है ।
__यदि नारक-पंचेन्द्रियों के वैक्रियशरीर होता है तो क्या रत्नप्रभा-पृथ्वी के अथवा यावत् अधःसप्तमपृथ्वी के नारकपंचेन्द्रियों को होता है ? गौतम ! रत्नप्रभापृथ्वी यावत् अधःसप्तमपृथ्वी के नैरयिक-पंचेन्द्रियों को भी वैक्रियशरीर होता है । रत्नप्रभापृथ्वी में उनके पर्याप्तक अपर्याप्तकनैरयिक-पंचेन्द्रियों दोनों को वैक्रियशरीर होता है । इसी प्रकार शर्कराप्रभापृथ्वी से अधःसप्तमपृथ्वी के नैरयिक-पंचेन्द्रियों में वैक्रियशरीर को कहना ।
यदि तिर्यञ्चयोनिक-पञ्चेन्द्रियों के वैक्रियशरीर होता है तो क्या सम्मूर्छिम अथवा गर्भजतिर्यञ्चयोनिक-पंचेन्द्रियों को होता है ? गौतम ! केवल गर्भज-तिर्यञ्चयोनिक-पंचेन्द्रियों को होता है । गर्भज-तिर्यञ्चयोनिक-पंचेन्द्रियों में संख्यात वर्ष की आयुवाले गर्भज-तिर्यञ्चयोनिकपंचेन्द्रियों को वैक्रियशरीर होता है, (किन्तु) असंख्यात वर्ष की आयुवाले को नहीं । संख्यात वर्ष की आयु वाले गर्भज-तिर्यञ्चयोनिक-पंचेन्द्रियों में पर्याप्तक-संख्यातवर्षायुष्क-गर्भज-तिर्यञ्चपंचेन्द्रियों को वैक्रियशरीर होता है, अपर्याप्तक को नहीं । संख्यातवर्षायुष्क-गर्भज-तिर्यञ्चयोनिकपंचेन्द्रियों में गौतम ! जलचर०, स्थलचर० तथा खेचरसंख्यातवर्षायुष्क तीनो गर्भजतिर्यञ्चयोनिक-पंचेन्द्रियों को वैक्रियशरीर होता है । जलचर-संख्यातवर्षायुष्क-गर्भज-तिर्यञ्चयोनिकपंचेन्द्रियों में गौतम ! पर्याप्तक-जलचर-संख्यातवर्षायुष्क-गर्भज० को वैक्रियशरीर होता है, अपर्याप्तक० को नहीं । स्थलचर-संख्यातवर्षायुष्क-गर्भज-तिर्यञ्चयोनिक पंचेन्द्रियों में, गौतम ! पर्याप्तक चतुष्पद० को भी, चतुष्पद स्थलचरों को भी परिसर्प, एवं भुजपरिसर्प० को भी वैक्रिय शरीर होता है । इसी प्रकार खेचर-संख्यातवर्षायुष्क-गर्भज-तिर्यञ्चयोनिक-पंचेन्द्रियों को भी जानलेना, विशेष यह कि खेचर-पर्याप्तकों के वैक्रियशरीर होता है, अपर्याप्तकों को नहीं ।
यदि मनुष्य-पंचेन्द्रियों के वैक्रियशरीर होता है तो क्या सम्मूर्छिम-मनुष्य-पंचेन्द्रियों के वैक्रियशरीर होता है, अथवा गर्भज० को ? गौतम ! केवल गर्भज-मनुष्य-पंचेन्द्रियों को होता है । गर्भज-मनुष्य-पंचेन्द्रियों में भी गौतम ! कर्मभूमिज-गर्भज-मनुष्य० को वैक्रियशरीर होता है, अकर्मभूमिक० और न ही अन्तरद्वीपज० को नहीं । कर्मभूमिज-गर्भज-मनुष्य-पंचेन्द्रियों में गौतम ! संख्येयवर्षायुष्क-कर्मभूमिज-गर्भज-मनुष्य-पंचेन्द्रियों को होता है, असंख्येयवर्षायुष्क० को नहीं । संख्येयवर्षायुष्क-कर्मभूमिज-गर्भज-मनुष्य-पंचेन्द्रियों में गौतम ! पर्याप्तकसंख्येयवर्षायुष्क-कर्मभूमिज-गर्भज-मनुष्य-पंचेन्द्रियों को नहीं । यदि देव-पंचेन्द्रियों के वैक्रियशरीर होता है, तो क्या भवनवासी को यावत् वैमानिक-देव-पंचेन्द्रियों को (भी) होता है ? गौतम ! भवनवासी यावत् वैमानिक-देव-पंचेन्द्रियों को होता है । भवनवासी-देव-पंचेन्द्रियों में गौतम !