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आगमसूत्र - हिन्दी अनुवाद
शीतवेदना, उष्णवेदना और शीतोष्णवेदना । भगवन् ! नैरयिक शीतवेदना वेदते हैं, उष्णवेदना वेदते हैं, या शीतोष्णवेदना वेदते हैं ? गौतम ! शीतवेदना भी वेदते हैं और उष्णवेदना भी । कोई-कोई प्रत्येक (नरक) पृथ्वी में वेदनाओं के विषय में कहते हैं - रत्नप्रभापृथ्वी के नैरयिक उष्णवेदना वेदते हैं । इसी प्रकार वालुकाप्रभा के नैरयिकों तक कहना | पंकप्रभा पृथ्वी के नैरयिक शीतवेदना और उष्णवेदना वेदते हैं, वे नारक बहुत हैं जो उष्णवेदना वेदते हैं और वे नारक अल्प हैं जो शीतवेदना वेदते हैं । धूमप्रभापृथ्वी में भी दोनों प्रकार की वेदना है । विशेष यह कि इनमें वे नारक बहुत हैं, जो शीतवेदना वेदते हैं तथा वे नारक अल्प हैं, जो उष्णवेदना वेदते हैं । तमा और तमस्तमा पृथ्वी के नास्क केवल शीतवेदना वेदते हैं । भगवन् ! असुरकुमार ? गौतम ! वे शीतवेदना भी वेदते हैं, उष्णवेदना भी वेदते हैं और शीतोष्णवेदना भी वेदते हैं । इसी प्रकार वैमानिकों तक कहना ।
वेदना कितने प्रकार की है ? गौतम ! चार प्रकार की, द्रव्यतः, क्षेत्रतः, कालतः और भावतः । भगवन् ! नैरयिक क्या द्रव्यतः यावत् भावतः वेदना वेदते हैं ? गौतम ! वे द्रव्य से भी वेदना वेदते हैं, यावत् भाव से भी वेदना वेदते हैं । इसी प्रकार वैमानिकों पर्यन्त है। वेदना कितने प्रकार की है ? गौतम ! तीन प्रकार की, शारीरिक, मानसिक और शारीरिकमानसिक । भगवन् ! नैरयिक शारीरिक वेदना वेदते हैं, मानसिकवेदना वेदते हैं अथवा शारीरिकमानसिक वेदना वेदते हैं ? गौतम ! वे तीनो वेदना वेदते है । इसी प्रकार वैमानिकों पर्यन्त कहना । विशेष—- एकेन्द्रिय और विकलेन्द्रिय केवल शारीरिक वेदना ही वेदते हैं । वेदना कितने प्रकार की है ? गौतम ! तीन प्रकार की, साता, असाता और साता-असाता । नैरयिक सातावेदना वेदते हैं, असातावेदना वेदते हैं, अथवा साता-असातावेदना वेदते हैं ? गौतम ! तीनों वेदना वेदते हैं । इसी प्रकार वैमानिकों तक जानना । वेदना कितने प्रकार की है ? गौतम ! तीन प्रकार की, सुखा, दुःखा और अदुःख-सुखा । नैरयिक जीव दुःखवेदना वेदते हैं, सुखवेदना वेदते हैं अथवा अदुःख-सुखावेदना वेदते हैं ? गौतम ! तीनो वेदना वेदते है । इसी प्रकार वैमानिकों पर्यन्त कहना ।
[५९७] वेदना कितने प्रकार की है ? गौतम ! दो प्रकार की, आभ्युपगमिकी और औपक्रमिकी | नैरयिक आभ्युपगमिकी वेदना वेदते हैं या औपक्रमिकी ? गौतम ! वे औपक्रमिकी वेदना ही वेदते हैं । इसी प्रकार चतुरिन्द्रियों तक कहना | पंचेन्द्रियतिर्यञ्च और मनुष्य दोनों प्रकार की वेदना का अनुभव करते हैं । वाणव्यन्तर, ज्योतिष्क और वैमानिकों में नैरयिकों के समान कहना ।
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[५९८] वेदना कितने प्रकार की है ? गौतम ! दो प्रकार की, -निदा और अनिदा । नारक निदावेदना वेदते हैं, या अनिदावेदना ? गौतम! नारक दोनो वेदना वेदता है । क्योंकीगौतम ! नारक दो प्रकार के हैं, संज्ञीभूत और असंज्ञीभूत । जो संज्ञीभूत होते हैं, वे निदावेदना वेदते हैं और जो असंज्ञीभूत होते हैं, वे अनिदावेदना वेदते हैं । इसी प्रकार स्तनितकुमारों पर्यन्त कहना ।
पृथ्वीकायिक जीव निदावेदना वेदते हैं या अनिदावेदना ? गौतम ! वे अनिदावेदना वेदते हैं । क्योंकी - गौतम ! सभी पृथ्वीकायिक असंज्ञी और असंज्ञीभूत होते हैं, इसलिए अनिदावेदना वेदते हैं । इसी प्रकार चतुरिन्द्रिय पर्यन्त कहना । पंचेन्द्रियतिर्यञ्च, मनुष्य और