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आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद
नक्षत्र के मुहर्त आदि गणित प्रथम संवत्सर की समाप्ति में दिए है, बाद में दूसरे से पांचवे की समाप्ति में छोर दिए है । अक्षरशः अनुवाद में गणितीक क्लिष्टता के कारण ऐसा किया है । जिज्ञासओ को बिन्द्राप्ति की वह मूल पाठ का अनुसरण करे ।
(प्राभृत-१२) [९९] हे भगवन् ! कितने संवत्सर कहे है ? निश्चयसे यह पांच संवत्सर कहे है-नक्षत्र, चंद्र, ऋतु, आदित्य और अभिवर्धित । प्रथम नक्षत्र संवत्सर का नक्षत्र मास तीस मुहूर्त अहोरात्र प्रमाण से सत्ताईस रात्रिदिन एवं एक रात्रिदिन के इक्कीस सडसठांश भाग से रात्रिदिन कहे है । वह नक्षत्र मास ८१९ मुहर्त एवं एक मुंहत के सत्ताइस सडसठ्ठांश भाग मुहूर्त परिमाण से कहा गया है । इस मुहर्त परिमाण रूप अन्तर को बारह गुना करके नक्षत्र संवत्सर परिमाण प्राप्त होता है, उसके ३२७ अहोरात्र एवं एक अहोरात्र के इकावन वासठांश भाग प्रमाण कहा है और उसके मुहूर्त ९८३२ एवं एक मुहूर्त के छप्पन सडसठांश भाग प्रमाण होते है ।
चंद्र संवत्सर का चन्द्रमास तीश मुहूर्त अहोरात्र से गीनते हुए उनतीस रात्रिदिन एवं एक रात्रिदिन के बत्तीस वासटांश भाग प्रमाण है । उसका मुहूर्तप्रमाण ८५० मुहूर्त एवं एक मुहूर्त के तेत्तीश छासठांश भाग प्रमाण कहा है, इसको बारह गुना करने से चन्द्र संवत्सर प्राप्त होता है, जिनका रात्रिदिन प्रमाण ३५४ अहोरात्र एवं एक रात्रि के बारह बासठांश भाग प्रमाण है, इसी तरह मुहूर्त प्रमाण भी कह लेना ।
तृतीय ऋतु संवत्सर का ऋतुमास त्रीस मुहूर्त प्रमाण अहोरात्र से गीनते हुए त्रीस अहोरात्र प्रमाण कहा है, उसका मुहूर्त प्रमाण ९०० है, इस मुहूर्त को बारह गुना करके ऋतु संवत्सर प्राप्त होता है, जिनके रात्रिदिन ३६० है और मुहूर्त १०८०० है ।।
चौथे आदित्य संवत्सर का आदित्य मास त्रीस मुहूर्त प्रमाण से गीनते हुए तीस अहोरात्र एवं अर्ध अहोरात्र प्रमाण है, उनका मुहूर्त प्रमाण ९१६ है, इसको बारह गुना करके आदित्य संवत्सर प्राप्त होता है, जिनके दिन ३६६ और मुहूर्त १०९८० होते है ।
पांचवां अभिवर्धित संवत्सर का अभिवर्धित मास त्रीश मुहर्त अहोरात्र से गीनते हुए इकतीस रात्रिदिन एवं ऊनतीस मुहूर्त तथा एक मुहूर्त के सत्तरह बासठांश भाग प्रमाण कहा है, मुहूर्त प्रमाण ९५९ मुहूर्त एवं एक मुहूर्त के सत्तरह बासठांश भाग है, इनको बारह गुना करने से अभिवर्धित संवत्सर प्राप्त होता है, उनके रात्रिदिन ३८३ एवं इक्कीस मुहूर्त तथा एक मुहुर्त के अठारह बासठांश भाग प्रमाण है, इसी तरह मुहूर्त भी कह लेना ।
[१००] समस्त पंच संवत्सरो का एक युग १७९१ अहोरात्र एवं उन्नीस मुहूर्त तथा एक मुहुर्त का सत्तावन बासठांश भाग तथा बासठवें भाग को सडसठ से विभक्त करके पचपन चूर्णिका भाग अहोरात्र प्रमाण है । उसके मुहूर्त ५३७४९ एवं एक मुहूर्त के सत्तावन बासठांश भाग तथा बांसठवे भाग के पचपन सडसटांश भाग प्रमाण है । अहोरात्र युग प्रमाण अडतीस अहोरात्र एवं दश मुहूर्त तथा एक मुहूर्त के चार बासठांश भाग तथा बासठवें भाग के बारह सडसठांश भाग है । इसका मुहूर्त प्रमाण ११५० मुहूर्त एवं एक मुहूर्त के.चार बासठांश भाग