Book Title: Agam Sutra Hindi Anuvad Part 08
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Aradhana Kendra

View full book text
Previous | Next

Page 185
________________ आगमसूत्र - हिन्दी अनुवाद [१२८] ज्योतिष्क देवो का अल्पबहुत्व - चंद्र और सूर्य दोनो तुल्य है और सबसे अल्प है, उनसे नक्षत्र संख्यातगुणे है, उनसे ग्रह संख्यात गुणे है, उनसे तारा संख्यात गुणे है । प्राभृत- १८ - का मुनि दीपरत्नसागर कृत् हिन्दी अनुवाद पूर्ण १८४ प्राभृत- १९ [१२९] कितने चंद्र-सूर्य सर्वलोक को प्रकाशित उद्योतीत तापीत और प्रभासीत करते है । इस विषय में बारह प्रतिपत्तियां है - सर्वलोक को प्रकाशीत यावत् प्रभासीत करनेवाले चंद्र और सूर्य - ( १ ) एक-एक है, (२) तीन-तीन है, (३) साडेतीन-साडेतीन है, (४) सात-सात है, (५) दश - दश है, (६) बारह - बारह है, (७) ४२-४२ है, (८) ७२-७२ है, (९) १४२१४२ है, (१०) १७२ १७२ है, (११) १०४२-१०४२ है, (१२) १०७२- १०७२ है । भगवंत फरमाते है कि इस जंबूद्वीप में दो चंद्र प्रभासीत होते थे- हुए है और होंगे, दो सूर्य तापित करते थे- करते है और करेंगे, ५६ नक्षत्र योग करते थे- करते है और करेंगे, १७६ ग्रह भ्रमण करते थे- करते है और करेंगे, १३३९५० कोडाकोडी तारागण शोभते थे शोभते है और शोभीत होंगे । [१३०] जंबूद्वीप में भ्रमण करनेवाले दो चंद्र, दो सूर्य, छप्पन नक्षत्र और १७६ ग्रह है । तथा [१३१] १३३९५० कोडाकोडि तारागण है । [१३२] इस जंबूद्वीप को लवण नामक समुद्र घीरे हुए है, वृत्त एवं वलयाकार है, समचक्रवाल संस्थित है उसका चक्रवाल विष्कम्भ दो लाख योजन है, परिधि १५८११३९ योजन से किंचित् न्यून है । इस लवण समुद्र में चार चंद्र प्रभासित हुए थे होते है और होंगे, चार सूर्य तापित करते थे- करते है और करेंगे, ११२ नक्षत्र योग करते थे-करते है और करेंगे, ३५२ महाग्रह भ्रमण करते थे-करते है और करेंगे, २६७९०० कोडाकोडी तारागण शोभित होते थे-होते है और होंगे । [१३३]१५८११३९ योजन से किंचित् न्यून लवण समुद्र का परिक्षेप है । [ १३४] लवणसमुद्र में चार चंद्र, चार सूर्य, ११२ नक्षत्र और ३५२ महाग्रह है । [१३५] २६७९०० कोडाकोडी तारागण लवण समुद्र में है । [१३६] उस लवणसमुद्र को धातकीखण्ड नामक वृत-वलयाकार यावत् समचक्रवाल संस्थित द्वीप चारो और से घेर कर रहा हुआ है । यह धातकी खण्ड का चार लाख योजन चक्रवाल विष्कम्भ और ४११०९६१ परिधि है । धातकी खण्ड में बारह चंद्र प्रभासीत होते थे होते है और होंगे, बारह सूर्य इसको तापित करते थे- करते है और करेंगे, ३३६ नक्षत्र योग करते थे- करते है और करेंगे, १०५६ महाग्रह भ्रमण करते थे- करते है और करेंगे । [१३७] धातकी खण्ड में ८,३०,७०० कोडाकोडी तारागण एक चंद्र का परिवार है। [१३८] धातकीखण्ड परिक्षेप से किंचित्न्यून ४११०९६१ योजन का है । [१३९] १२ चंद्र, १२ - सूर्य, ३३६ नक्षत्र एवं १०५६ नक्षत्र धातकीखण्ड में है । [१४०] ८३०७०० कोडाकोडी तारागण धातकीखण्ड में है । [१४१] कालोद नामक समुद्र जो वृत्त, वलयाकार एवं समचक्रविष्कम्भवाला है वह

Loading...

Page Navigation
1 ... 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242