Book Title: Agam Sutra Hindi Anuvad Part 08
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Aradhana Kendra

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Page 186
________________ सूर्यप्रज्ञप्ति-१९/-/१४१ १८५ चारो ओर से धातकीखण्ड को धीरे हुए रहा है । उसका चक्रवाल विष्कम्भ आठ लाख योजन और परिधि ९१७०६०५ जोयण से किचित् अधिक है । कालोद समुद्र में ४२ चंद्र प्रभासित होते थे-होते है और होंगे, ४२-सूर्य तापित करते थे- करते है और करेंगे, ११७६ नक्षत्रोने योग किया था - करते है और करेंगे, ३६९६ महाग्रह भ्रमण करते थे-करते है और करेंगे, २८१२९५० काकडी तारागण शोभित होते थे-होते है और होंगे । [१४२] कालोद समुद्र की परिधि साधिक ९१७०६०५ योजन है । [१४३] कालोद समुद्र में ४२ - चंद्र, ४२- सूर्य दिप्त है, वह सम्बध्धलेश्या से भ्रमण करते है । [१४४] कालोद समुद्र में ११७६ नक्षत्र एवं ३६९६ महाग्रह है । [१४५] उसमें २८,१२९५० कोडाकोडी तारागण है । [१४६ ] पुष्करवर नामका वृत्त-वलयाकार यावत् समचक्रवाल संस्थित द्वीप है कालोद समुद्र को चारो ओर से घीरे हुए है । पुष्करवर द्वीप का चक्रवाल विष्कम्भ सोलह लाख योजन है और उसकी परिधि १, ९२,४९,८४९ योजन है । पुष्करवरद्वीप में १४४ चंद्र प्रभासित हुए थे होते है और होंगे, १४४ सूर्य तापित करते थे-करते है और करेंगे, ४०३२ नक्षत्रोने योग किया था - करते है और करेंगे, १२६७२ महाग्रह भ्रमण करते थे-करते है और करेंगे, ९६४४४०० कोडाकोडी तारागण शोभित होते थे-होते है और होंगे । [१४७] पुष्करवर द्वीप का परिक्षेप १९२४९८४९ योजन है । [ १४८] पुष्करवर द्वीप में १४४ चंद्र और १४४ सूर्य भ्रमण करते है एवं प्रकाश करते है । [१४९] उसमें ४०३२ नक्षत्र एवं १२६७२ महाग्रह है । [१५०] ९६४४४०० कोडाकोडी तारागण पुष्करवर द्वीप में है । [१५१] इस पुष्करवर द्वीप के बहुमध्य देश भाग में मानुषोत्तर नामक पर्वत है, वृत्त एवं वलयाकार है, जिसके द्वारा पुष्करवर द्वीप के एक समान दो विभाग होते है - अभ्यन्तर पुष्करार्ध और बाह्य पुष्करावर्ध अभ्यन्तर पुष्करार्ध द्वीप समचक्रवाल संस्थित है, उसका चक्रवाल विष्कम्भ आठ लाख यौजन है, परिधि १४२३०२४९ प्रमाण है, उसमें ७२ चंद्र प्रभासित हुए थे-होते है और होंगे, ७२- सूर्य तपे थे - तपते है और तपेंगे, २०१६ नक्षत्रोने योग किया था - करते है और करेंगे, ६३३६ महाग्रह भ्रमण करते थे-करते है और करेंगे, ४८२२०० कोडा कोडि तारागण शोभित हुए थे-होते है और होंगे । [१५२] अभ्यंतर पुष्करार्ध का विष्कम्भ आठ लाख योजन है और पुरे मनुष्य क्षेत्र का विष्कम्भ ४५ लाख योजन है । [१५३] मनुष्य क्षेत्र का परिक्षेप १००४२२४९ योजन है । [१५४] अर्ध पुष्करवरद्वीप में ७२ चंद्र, ७२ - सूर्य दिप्त है, विचरण करते है और इस द्वीप को प्रकाशीत करते है । [१५५] इस में ६३३६ महाग्रह और २०१६ नक्षत्र है । [१५६ ] पुष्करवरार्ध में ४८२२२०० कोडाकोडी तारागण है । [१५७ ] सकल मनुष्यलोक को १३२ - चंद्र और १३२- सूर्य प्रकाशीत करके भ्रमण

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