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सूर्यप्रज्ञप्ति-८/-/३९
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है तब उत्तरार्द्ध में भी अट्ठारहर्मुहूर्त्तान्तर दिन होता है और उत्तरार्द्ध में अठ्ठारह मुहूर्त्तान्तर दिन होता है तब दक्षिणार्द्ध में भी अठ्ठारह मुहूर्त्तान्तर का दिन होता है । इसी क्रम से इसी अभिला से सत्तरह-सोलह यावत् बारह मुहूर्त्तान्तर प्रमाण को पूर्ववत् समझलेना । इन सब मुहूर्त्त प्रमाण काल में जंबूद्वीप के मेरु पर्वत के पूर्व और पश्चिम में सदा पन्द्रह मुहूर्त का दिन नहीं होता और सदा पन्द्रह मुहूर्त की रात्रि भी नहीं होती, लेकिन वहां रात्रिदिन का प्रमाण अनवस्थित रहता है ।
कोइ मतवादी यह भी कहता है कि जब जंबूद्वीप के दक्षिणार्द्ध में अठ्ठारह मुहूर्त का दिन होता है तब उत्तरार्द्ध में बारह मुहूर्त की रात्रि होती है और उत्तरार्द्ध अट्ठारह मुहूर्त का दिन होता है तब दक्षिणार्द्ध में बारह मुहूर्त की रात्रि होती है । जब दक्षिणार्द्ध में अठ्ठारह मुहूर्तान्तर का दिन होता है तब उत्तरार्द्ध में बारह मुहूर्त्त प्रमाण रात्रि होती है, उत्तरार्द्ध में अठ्ठारह मुहूर्तान्तर दिन होता है तब दक्षिणार्द्ध में बारह मुहूर्त्त प्रमाण रात्रि होती है । इसी प्रकार इसी अभिलाप से बारह मुहूर्त तक का कथन कर लेना यावत् जब दक्षिणार्द्ध में बारह मुहूर्त्तान्तर प्रमाण दिन होता है तब उत्तरार्द्ध में बार मुहूर्त्त प्रमाण की रात्रि होती है एवं मेरुपर्वत के पूर्व-पश्चिम में पन्द्रह मुहूर्त की रात्रि या दिन कभी नहीं होता, वहां रात्रिदिन अवस्थित है ।
भगवंत फरमाते है कि जंबूद्वीप में इशानकोने में सूर्य उदित होता है वहां से अग्निकोने में जाता है, अग्निकोने में उदित होकर नैऋत्य कोने में जाता है, नैऋत्य कोने में उदित होकर वायव्य कोने में जाता है और वायव्य कोने में उदित होकर इशान कोने में जाता है । जब जंबूद्वीप के दक्षिणार्द्ध में दिन होता है तब उत्तरार्द्ध में भी दिन होता है और जब उत्तरार्द्ध में दिन होता है तब मेरुपर्वत के पूर्व-पश्चिममें रात्रि होती है । जब दक्षिणार्द्ध में अठ्ठारह मुहूर्त का दिन होता है तब उत्तरार्द्ध में भी अठ्ठारह मुहूर्त का दिन होता है और उत्तरार्द्ध में अट्ठारह मुहूर्त का दिन होता है तब मेरु पर्वत के पूर्व-पश्चिम में जघन्या बारह मुहूर्त की रात्रि होती है । इसी तरह जब मेरु पर्वत के पूर्व-पश्चिम में उत्कृष्ट अठ्ठारह मुहूर्त का दिन होता है, तब मेरुपर्वत के उत्तर-दक्षिण में जघन्या बारह मुहूर्त की रात्रि होती है । इसी क्रम से इसी प्रकार आलापकसे समझलेना चाहिए कि जब अट्ठारह मुहूत्तान्तर दिवस होता है तब सातिरेक बारह मुहूर्त की रात्रि होती है, सत्तरह मुहूर्त का दिवस होता है तब तेरह मुहूर्त की रात्रि होती है...यावत्...जघन्य बारह मुहूर्त का दिन होता है तब उत्कृष्ट अठ्ठारह मुहूर्त की रात्रि होती है ।
जब इस जंबूद्वीप के दक्षिणार्द्ध में वर्षाकाल का प्रथम समय होता है तब उत्तरार्द्ध में भी वर्षाकाल का प्रथम समय होता है, जब उत्तरार्द्ध में वर्षाकाल का प्रथम समय होता है तब मेरुपर्वत के पूर्व-पश्चिम में अनन्तर पुरस्कृतकाल में वर्षाकाल का आरम्भ होता है; जब मेरुपर्वत के पूर्व-पश्चिम में वर्षाकाल का प्रथम समय होता है तब मेरुपर्वत के दक्षिण-उत्तर में अनन्तर पश्चातकृत् काल में वर्षाकाल का प्रथम समय समाप्त होता है । समय के कथनानुसार आवलिका, आनप्राण, स्तोक यावत् ऋतु के दश आलापक समझलेना । वर्षाऋतु के कथनानुसार हेमन्त और ग्रीष्मऋतु का कथन भी समझलेना । जब जंबूद्वीप के दक्षिणार्द्ध में प्रथम अयन होता है तब उत्तरार्द्ध में भी प्रथम अयन होता है और उत्तरार्द्ध में प्रथम अयन होता है तब मेरुपर्वत के पूर्व-पश्चिम में अनन्तर पुरस्कृत् काल में पहला अयन प्राप्त होता है । जब मेरुपर्वत के पूर्व-पश्चिम में प्रथम अयन होता है तब उत्तर-दक्षिण में अनन्तर पश्चात्कृत्
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