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आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद
५८१] भगवन् ! नैरयिक अवधि द्वारा कितने क्षेत्र को जानते-देखते हैं ? गौतम ! जघन्यतः आधा गाऊ और उष्कृष्टतः चार गाऊ । स्त्नप्रभापृथ्वी के नैरयिक अवधि से कितने क्षेत्र को जानते-देखते हैं ? गौतम ! जघन्य साढ़े तीन गाऊ और उत्कृष्ट चार गाऊ । शर्कराप्रभापृथ्वी के नारक जघन्य तीन और उत्कृष्ट साढ़े तीन गाऊ को, अवधि-(ज्ञान) से जानते-देखते हैं । वालुकाप्रभापृथ्वी के नारक जघन्य ढाई और उत्कृष्ट तीन गाऊ को, पंकप्रभापृथ्वी के नारक जघन्य दो और उत्कृष्ट ढाई गाऊ को, धूमप्रभापृथ्वी के नारक अवधि जघन्य डेढ़ और उत्कृष्ट दो गाऊ को, तमःप्रभापृथ्वी के नारक जघन्य एक और उत्कृष्ट डेढ़ गाऊ को, तथा अधःसप्तम पृथ्वी के नैरयिक जघन्य आधा गाऊ और उत्कृष्ट एक गाऊ को अवधि से जानते-देखते हैं ।
भगवन् ! असुरकुमारदेव अवधि से कितने क्षेत्र को जानते-देखते हैं ? गौतम ! जघन्य पच्चीस योजन और उत्कृष्ट असंख्यात द्वीप-समुद्रों, को । नागकुमारदेव जघन्य पच्चीस योजन
और उत्कृष्ट संख्यात द्वीप-समुद्रों को, जानते और देखते है । इसी प्रकार स्तनितकुमार पर्यन्त कहना । पंचेन्द्रियतिर्यञ्चयोनिक जीव ? गौतम ! वे जघन्य अंगुल के असंख्यातवें भाग को
और उत्कृष्ट असंख्यात द्वीप-समुद्रों को जानते-देखते हैं । मनुष्य जघन्य अंगुल के असंख्यातवें भाग क्षेत्र को और उत्कृष्ट अलोक में लोक प्रमाण असंख्यात खण्डों को अवधि द्वारा जानतेदेखते हैं । वाणव्यन्तर देवों की जानने-देखने की क्षेत्र-सीमा नागकुमार के समान जानना । ज्योतिष्कदेव जघन्य तथा उत्कृष्ट भी संख्यात द्वीप-समुद्रों को अवधिज्ञान से जानते-देखते हैं।
भगवन् ! सौधर्मदेव कितने क्षेत्र को अवधि द्वारा जानते-देखते हैं ? गौतम ! जघन्य अंगुल के असंख्यातवें भागक्षेत्र को और उत्कृष्टतः नीचे इस रत्नप्रभापृथ्वी के निचले चरमान्त तक, तिरछे असंख्यात द्वीप-समुद्रों और ऊपर अपने-अपने विमानों तक अवधि द्वारा जानतेदेखते हैं । इसी प्रकार ईशानकदेवों में भी कहना । सनत्कुमार देवों को भी इसी प्रकार समझना। किन्तु विशेष यह कि ये नीचे शर्कराप्रभा पृथ्वी के निचले चरमान्त तक जानतेदेखते हैं | माहेन्द्रदेवों में भी इसी प्रकार समझना । ब्रह्मलोक और लान्तकदेव नीचे वालुका प्रभा के निचले चरमान्त तक, महाशुक्र और सहस्रारदेव नीचे चौथी पंकप्रभापृथ्वी के निचले चरमान्त तक, आनत, प्राणत, आरण अच्युत देव नीचे पाँचवीं धूमप्रभापृथ्वी के निचले चरमान्त तक, निचले और मध्यम ग्रैवेयकदेव नीचे छठी तमःप्रभापृथ्वी के निचले चरमान्त तक, उपरिम ग्रैवेयकदेव जघन्य अंगुल के असंख्यातवें भाग और उत्कृष्ट नीचे अधःसप्तमपृथ्वी के निचले चरमान्त पर्यन्त, तिरछे यावत असंख्यात द्वीप-समुद्रों को तथा ऊपर अपने विमानों तक अवधि से जानते देखते हैं । भगवन् ! अनुत्तरौपपातिकदेव अवधि द्वारा कितने क्षेत्र को जानते देखते हैं ? गौतम ! सम्पूर्ण लोकनाडी को जानते-देखते हैं ।
[५८२] भगवन् ! नारकों का अवधि किस आकार वाला है ? गौतम ! तप्र के आकार का । असुरकुमारों का अवधि किस प्रकार का है ? गौतम ! पल्लक के आकार है । इसी प्रकार स्तनितकुमारों तक जानना । पंचेन्द्रियतिर्यञ्चों का अवधि नाना आकारों वाला है । इसी प्रकार मनुष्यों में भी जानना । वाणव्यन्तर देवों का अवधिज्ञान पटह आकार का है । ज्योतिष्कदेवों का अवधिसंस्थान झालर आकार का है । सौधर्मदेवों का अवधि-संस्थान ऊर्ध्व-मृदंग आकार का है । इसी प्रकार अच्युतदेवों तक समझना । ग्रैवेयकदेवों के अवधिज्ञान फूलों की चंगेरी