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प्रज्ञापना-२९/-/५७२
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प्रकार का है, चक्षुदर्शन० और अचक्षुदर्शनअनाकारोपयोग | पंचेन्द्रियतिर्यग्योनिक जीवों को नैरयिकों के समान कहना । मनुष्यों के उपयोग समुच्चय उपयोग के समान कहना । वाणव्यन्तर, ज्योतिष्क और वैमानिकों को नैरयिकों के समान कहना ।।
भगवन् ! जीव साकारोपयुक्त होते हैं या अनाकारोपयुक्त ? गौतम ! दोनो होते है । क्योंकी-गौतम ! जो जीव आभिनिबोधिकज्ञान यावत् केवलज्ञान तथा मति-अज्ञान, श्रुतअज्ञान एवं विभंगज्ञान उपयोगवाले होते हैं, वे साकारोपयुक्त कहे जाते हैं और जो जीव चक्षुदर्शन यावत् केवलदर्शन के उपयोग से युक्त होते हैं, वे अनाकारोपयुक्त कहे जाते हैं । भगवन् ! नैरयिक साकारोपयुक्त होते हैं या अनाकारोपयुक्त ? गौतम ! दोनो होते है, क्योंकीगौतम ! जो नैरयिक आभिनिबोधिकज्ञान, श्रुतज्ञान, अवधिज्ञान तथा मति-अज्ञान, श्रुतअज्ञान और विभंगज्ञान के उपयोग से युक्त होते हैं, वे साकारोपयुक्त होते हैं और जो नैरयिक चक्षुदर्शन, अचक्षुदर्शन और अवधिदर्शन के उपयोग से युक्त होते हैं, वे अनाकारोपयुक्त होते हैं । इसी प्रकार स्तनितकुमारों तक कहना ।।
पृथ्वीकायिकों के विषय में पृच्छा । गौतम ! पूर्ववत्, जो पृथ्वीकायिक जीव मत्यज्ञान और श्रुत-अज्ञान के उपयोगवाले हैं, वे साकारोपयुक्त होते हैं तथा जो पृथ्वीकायिक जीव अचक्षुदर्शन के उपयोगवाले होते हैं, वे अनाकारोपयुक्त होते हैं । इसी प्रकार अप्कायिक यावत् वनस्पतिकायिक साकारोपयुक्त भी होते हैं और अनाकारोपयुक्त भी । जो द्वीन्द्रिय
आभिनिबोधिकज्ञान, श्रुतज्ञान, मत्यज्ञान और श्रुत-अज्ञान के उपयोगवाले होते हैं, वे साकारोपयुक्त होते हैं और जो द्वीन्द्रिय अचक्षुदर्शन के उपयोग से युक्त होते हैं, वे अनाकारोपयुक्त होते हैं । इसी प्रकार यावत् चतुरिन्द्रिय जीवों में समझना, विशेष यह कि चतुरिन्द्रिय जीवों में चक्षुदर्शन अधिक कहना । पंचेन्द्रियतिर्यग्योनिकों को नैरयिकों के समान जानना । मनुष्यों में समुच्चय जीवों के समान जानना चाहिए । वाणव्यन्तर, ज्योतिष्क और वैमानिक देवों में नैरयिकों के समान कहना ।
( पद-३०-“पश्यत्ता" ) [५७३] भगवन् ! पश्यत्ता कितने प्रकार की है ? गौतम ! दो प्रकार की, -साकारपश्यत्ता और अनाकारपश्यत्ता । साकारपश्यत्ता कितने प्रकार की है ? गौतम ! छह प्रकार की, - श्रुतज्ञानसाकारपश्यत्ता, अवधिज्ञान०, मनःपर्यवज्ञान०, केवलज्ञान०, श्रुत-अज्ञान० और विभंगज्ञानसाकारपश्यत्ता । अनाकारपश्यत्ता कितने प्रकार की है ? गौतम ! तीन प्रकार की, -चक्षुदर्शनअनाकारपश्यत्ता, अवधिदर्शनअनाकारपश्यत्ता और केवलदर्शनअनाकारपश्यत्ता । इसी प्रकार समुच्चय जीवों में भी कहना ।
नैरयिक जीवों की पश्यत्ता कितने प्रकार की है ? गौतम ! दो प्रकार की, -साकारपश्यत्ता और अनाकारपश्यत्ता । नैरयिकों की साकारपश्यत्ता चार प्रकार की है, -श्रुतज्ञानसाकारपश्यत्ता, अवधिज्ञान०, श्रुत-अज्ञान० और विभंगज्ञानसाकारपश्यत्ता । नैरयिकों की अनाकारपश्यत्ता दो प्रकार की है, -चक्षुदर्शन-अनाकारपश्यत्ता और अवधिदर्शन-अनाकारपश्यत्ता । इसी प्रकार स्तनितकुमारों तक जानना ।
भगवन् ! पृथ्वीकायिक जीवों की पश्यत्ता कितने प्रकार की है ? गौतम ! एक