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आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद
किया जाता है अथवा उनके उदय से शुभनामकर्म को वेदा जाता है
अशुभनामकर्म का जीव के द्वारा बद्ध यावत् कितने प्रकार का अनुभाव है ? गौतम ! पूर्ववत् । -अनिष्ट शब्द आदि यावत् हीन-स्वरता, दीन-स्वरता, अनिष्ट-स्वरता और अकान्तस्वरता । जो पुद्गल आदि का वेदन किया जाता है यावत् अथवा उनके उदय से दुःख (अशुभ) नामकर्म को वेदा जाता है ।
जीव के द्वारा बद्ध यावत् उच्चगोत्रकर्म का कितने प्रकार का अनुभाव है ? गौतम ! आठ प्रकार का, जाति, कुल, बल, रूप, तप, श्रुत, लाभ और ऐश्वर्यकी विशिष्टता । जो पुद्गल यावत् पुद्गलों के परिणाम को वेदा जाता है अथवा उनके उदय से उच्चगोत्रकर्म को वेदा जाता है ।
जीव के द्वारा बद्ध यावत् नीचगोत्रकर्म का कितने प्रकार का अनुभाव है ? गौतम ! पूर्ववत् जाति यावत् ऐश्वर्यविहीनता । पुद्गल का, यावत् पुद्गलों के परिणाम जो वेदा जाता है अथवा उन्हीं के उदय से नीचगोत्रकर्म का वेदन किया जाता है ।
__ जीव के द्वारा बद्ध यावत् अन्तरायकर्म का कितने प्रकार का अनुभाव है ? गौतम ! पांच प्रकार का, -दानान्तराय, लाभान्तराय, भोगान्तराय, उपभोगान्तराय और वीर्यान्तराय । पुद्गल का यावत् पुद्गलों के परिणाम का जो वेदन किया जाता है अथवा उनके उदय से जो अन्तरायकर्म को वेदा जाता है ।
| पद-२३-उद्देशक-२ । [५४०] भगवन् ! कर्मप्रकृतियाँ कितनी हैं ? गौतम ! आठ, -ज्ञानावरणीय यावत् अन्तराय । भगवन् ! ज्ञानावरणीयकर्म कितने प्रकार का है ? गौतम ! पांच प्रकार का, - आभिनिबोधिक यावत् केवलज्ञानावरणीय । दर्शनावरणीयकर्म कितने प्रकार का है ? गौतम ! दो प्रकार का, -निद्रा-पंचक और दर्शनचतुष्क । निद्रा-पंचक कितने प्रकार का है ? गौतम ! पांच प्रकार का, -निद्रा यावत् स्त्यानगृद्धि । दर्शनचतुष्क कितने प्रकार का है ? गौतम ! चार प्रकार का, -चक्षुदर्शनावरण यावत् केवलदर्शनावरण । वेदनीयकर्म कितने प्रकार का है ? गौतम ! वह दो प्रकार का है, -सातावेदनीय और असातावेदनीय । सातावेदनीयकर्म कितने प्रकार है ? गौतम ! आठ प्रकार का, मनोज्ञ शब्द यावत् कायसुखता । असातावेदनीयकर्म कितने प्रकार का है ? गौतम ! आठ प्रकार का, अमनोज्ञ शब्द यावत् कायदुःखता ।
भगवन् ! मोहनीयकर्म कितने प्रकार का है ? गौतम ! दो प्रकार का, -दर्शनमोहनीय और चारित्रमोहनीय । दर्शन-मोहनीयकर्म कितने प्रकार का है ? गौतम ! तीन प्रकार का - सम्यक्त्ववेदनीय, मिथ्यात्ववेदनीय और सम्यग्-मिथ्यात्ववेदनीय । चारित्रमोहनीयकर्म कितने प्रकार का है ? गौतम ! दो प्रकार का, -कपायवेदनीय और नोकषायवेदनीय । कषायवेदनीयकर्म कितने प्रकार का है ? गौतम ! सोलह प्रकार का, -अनन्तानुबन्धी क्रोध, अनन्तानुबन्धी मान, अनन्तानुबन्धी माया, अनन्तानुवन्धी लोभ; अप्रत्याख्यानावरण क्रोध, मान, माया और लोभ; प्रत्याख्यानावरण क्रोध, मान, माया तथा लोभ, संज्वलन क्रोध, मान, माया एवं लोभ । नोकपाय-वेदनीयकर्म कितने प्रकार का है ? गौतम ! नौ प्रकार का, -स्त्रीवेद, पुरुषवेद, नपुंसकवेद, हास्य, रति, अरति, भय, शोक और जुगुप्सा । आयुकर्म कितने प्रकार का है ?