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आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद
अबाधाकाल सोलह सौ वर्ष का है । कीलिकासंहनन-नामकर्म की स्थिति ? जघन्य पल्योपम के असंख्यातवें भाग कम सागरोपम के नव पैतीशांश भाग की, उत्कृष्ट अठारह कोडाकोडी सागरोपम है । इसका अबाधाकाल अठारह सौ वर्ष का है । सेवार्त्तसंहनन-नामकर्म की स्थिति? जघन्य पल्योपम के असंख्यातवें भाग कम सागरोपम के दो सप्तमांश भाग की, उत्कृष्ट बीस कोडाकोडी सागरोपम की है । अबाधाकाल दो हजार वर्ष का है । संहनननामकर्मों के समान संस्थाननामकर्मों की भी स्थिति कहना ।
शुक्लवर्ण-नामकर्म की स्थिति जघन्य पल्योपम के असंख्यातवें भाग कम सागरोपम के एक सप्तमांश भाग, उत्कृष्ट दस कोडाकोडी सागरोपम है । अबाधाकाल एक हजार वर्ष का है । पीत वर्ण-नामकर्म की स्थिति जघन्य पल्योपम के असंख्यातवें भाग कम सागरोपम के पांच अट्ठावीशांश भाग की, उत्कृष्ट साढ़े बारह कोडाकोडी सागरोपम है । अबाधाकाल साढ़े बारह सौ वर्ष का है । रक्त वर्ण-नामकर्म की स्थिति ? जघन्य पल्योपम के असंख्यातवें भाग कम सागरोपम के छह अट्ठावीशांश भाग की, उत्कृष्ट पन्द्रह कोडाकोडी सागरोपम है । अबाधाकाल पन्द्रह सौ वर्ष का है । नीलवर्ण-नामकर्म की स्थिति ? जघन्य पल्योपम के असंख्यातवें भाग कम सागरोपम के सात अट्ठावीशांश भाग की, उत्कृष्ट साढ़े सत्तरह कोडाकोडी सागरोपम की है । अबाधाकाल साढ़े सत्तरह सौ वर्ष का है । कृष्णवर्ण-नामकर्म की स्थिति सेवार्तसंहनन के समान है । सुरभिगन्ध-नामकर्म की स्थिति, शुक्लवर्ण-नामकर्म के समान है। दुरभिगन्धनामकर्म की स्थिति सेवार्त संहनन-नामकर्म के समान है । मधुर आदि रसों की स्थिति, वर्गों के समान उसी क्रम से कहना । अप्रशस्त स्पर्श की स्थिति सेवार्तसंहनन के समान तथा प्रशस्त स्पर्श की स्थिति शुक्लवर्ण-नामकर्म के समान कहना । अगुरुलघु-नामकर्म की स्थिति सेवार्तसंहनन के समान जानना । इसी प्रकार उपघात और पराघात नामकर्म में भी कहना ।
नरकानुपूर्वी-नामकर्म की स्थिति ? जघन्य पल्योपम के असंख्यातवें भाग कम सहस्र सागरोपम के दो सप्तमांश भाग की, उत्कृष्ट बीस कोडाकोडी सागरोपम है । दो हजार वर्ष का अबाधाकाल है । तिर्यञ्चानुपूर्वी की स्थिति ? जघन्य पल्योपम के असंख्यातवें भाग कम सागरोपम के दो सप्तमांश भाग है और उत्कृष्ट बीस कोडाकोडी सागरोपम है । अबाधाकाल दो हजार वर्ष का है । मनुष्यानुपूर्वी-नामकर्म की स्थिति ? गौतम ! जघन्य पल्योपम के असंख्यातवें भाग कम सागरोपम के देढ सप्तमांश भाग की, उत्कृष्ट पन्द्रह कोडाकोडी सागरोपम की है । अबाधाकाल पन्द्रह सौ वर्ष है । देवानुपूर्वी-नामकर्म की स्थिति ? गौतम ! जघन्य पल्योपम के असंख्यातवें भाग कम सहस्र सागरोपम के देढ सप्तमांश भाग की, उत्कृष्ट दस कोडाकोडी सागरोपम की है । अबाधाकाल एक हजार वर्ष है । उच्छ्वास-नामकर्म की स्थिति ? गौतम ! तिर्यञ्चानुपूर्वी के समान है । इसी प्रकार आतप और उद्योत-नामकर्म की भी स्थिति जानना । प्रशस्तविहायोगति-नामकर्म की स्थिति ? जघन्य पल्योपम के असंख्यातवें भाग कम सागरोपम के देढ सप्तमांश भाग की, उत्कृष्ट दस कोडाकोडी सागरोपम की है । एक हजार वर्ष का अबाधाकाल है । अप्रशस्तविहायोगति-नामकर्म की स्थिति ? जघन्य पल्योपम के असंख्यातवें भाग कम सागरोपम के दो सप्तमांश भाग है तथा उत्कृष्ट बीस कोडाकोडी सागरोपम है । अबाधाकाल दो हजार वर्ष का है । त्रस और स्थावर-नामकर्म की स्थिति भी इसी प्रकार जानना ।