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आगमसूत्र - हिन्दी अनुवाद
- कृष्णलेश्या यावत् तेजोलेश्या । इसी प्रकार भवनवासी और वाणव्यंतर देव - देवी में जानना । ज्योतिष्क देवों और देवी में एकमात्र तेजोलेश्या होती है । वैमानिक देवों में तीन लेश्याएँ हैंतेजोलेश्या, पद्मलेश्या और शुक्ललेश्या । वैमानिक देवियों में एकमात्र तेजोलेश्या होती है । [४५३] भगवन् ! इन सलेश्य, कृष्णलेश्य यावत् शुक्ललेश्य और अलेश्य जीवों में कौन, किससे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ? गौतम ! सबसे थोड़े जीव शुक्ललेश्या वाले हैं, उनसे पद्मलेश्या वाले संख्यातगुणे हैं, उनसे तेजोलेश्या वाले संख्यातगुणे हैं, उनसे अलेश्य अनन्तगुणे हैं, उनसे कापोतलेश्या वाले अनन्तगुणे हैं, उनसे नीललेश्या वाले विशेषाधिक हैं, उनसे कृष्णलेश्या वाले विशेषाधिक हैं और सलेश्य उनसे भी विशेषाधिक हैं ।
[४५४] भगवन् ! कृष्णलेश्या, नीललेश्या और कापोतलेश्या वाले नारकों में से कौन, किनसे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ? गौतम ! सबसे थोड़े कृष्णलेश्यावाले नारक हैं, उनसे असंख्यातगुणे नीललेश्यावाले हैं और उनसे भी असंख्यातगुणे कापोतलेश्या वाले हैं ।
[ ४५५] भगवन् ! इन कृष्णलेश्या से लेकर शुक्ललेश्या वाले तिर्यंचयोनिकों में से कौन, किनसे अल्प, बहुत, तुल्य और विशेषाधिक हैं ? गौतम ! सबसे कम तिर्यञ्च शुक्ललेश्या वाले हैं इत्यादि औधिक जीवो के समान समझना । विशेषता यह कि तिर्यञ्चों में अलेश्य नहीं कहना । भगवन् ! कृष्णलेश्या से लेकर तेजोलेश्या तक के एकेन्द्रियों में ? गौतम ! सबसे कम तेजोलेश्या वाले एकेन्द्रिय हैं, उनसे अनन्तगुणे कापोतलेश्यावाले हैं, उनसे नीललेश्या वाले विशेषाधिक हैं और उनसे भी कृष्णलेश्यावाले विशेषाधिक हैं । भगवन् ! कृष्णलेश्या से लेकर तेजोलेश्या तक के पृथ्वीकायिकों में समुच्चय एकेन्द्रियों के समान अल्पबहुत्व कहना । विशेषता इतनी कि कापोतलेश्यावाले पृथ्वीकायिक असंख्यातगुणे हैं । इसी प्रकार कृष्णादिलेश्या वाले अकायिकों में अल्पबहुत्व जानना । कृष्ण यावत् कापोतलेश्यावाले तेजस्कायिकों में सबसे कम कापोतलेश्या वाले हैं, उनसे नीललेश्यावाले विशेषाधिक हैं, उनसे कृष्णलेश्यावाले विशेषाधिक हैं । इसी प्रकार वायुकायिकों को भी जानना । कृष्णलेश्या यावत् तेजोलेश्या वाले वनस्पतिकायिकों में औधिक एकेन्द्रिय के समान अल्पबहुत्व समझना । द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय और चतुरिन्द्रिय जीवों का अल्पबहुत्व तेजस्कायिकों के समान है ।
भगवन् ! इन कृष्णलेश्या यावत् शुक्ललेश्या वाले पंचेन्द्रियतिर्यञ्चयोनिकों में से कौन, किनसे अल्प, बहुत तुल्य और विशेषाधिक हैं ? गौतम ! औधिक तिर्यञ्चों के समान पंचेन्द्रियतिर्यञ्चों का अल्पबहुत्व कहना । विशेषता यह कि कापोतलेश्या वाले पंचेन्द्रियतिर्यञ्च असंख्यातगुणे हैं । सम्मूर्च्छिम-पञ्चेन्द्रियतिर्यञ्चयोनिकों का अल्पबहुत्व तेजस्कायिकों के समान समझना । गर्भज-पंचेन्द्रियतिर्यञ्चों एवं तिर्यचस्त्रियों का अल्पबहुत्व समुच्चय पंचेन्द्रियतिर्यञ्चों के समान जानना । विशेषता यह है कि कापोतलेश्या वाले संख्यातगुणे कहना ।
भगवन् ! इन कृष्णलेश्या वालों से लेकर शुक्ललेश्यायुक्त सम्मूर्च्छिमपंचेन्द्रियतिर्यञ्चयोनिकों और गर्भज- पंचेन्द्रियतिर्यञ्चयोनिकों में से कौन, किनसे अल्प, बहुत, तुल्य और विशेषाधिक हैं ? गौतम ! सबसे कम शुक्लेश्या वाले गर्भज- पंचेन्द्रियतिर्यञ्चयोनिक हैं, उनसे पद्मलेश्यावाले संख्यातगुणे हैं, उनसे तेजोलेश्याविशिष्ट संख्यातगुणे हैं, उनसे नीललेश्याविशिष्ट विशेषाधिक हैं, उनसे कृष्णलेश्यायुक्त विशेषाधिक हैं, उनसे कापोतलेश्यावाले सम्मूर्च्छिम