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आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद
होकर, तेजोलेश्या पद्मलेश्या को प्राप्त होकर और पद्मलेश्या शुक्ललेश्या को प्राप्त होकर उसी के रूप में और यावत् पुनःपुनः परिणत हो जाती है ।
भगवन् ! कृष्णलेश्या क्या नीललेश्या यावत् शुक्ललेश्या को प्राप्त होकर उन्हीं के स्वरूप में, उन्हीं के वर्ण, गन्ध, रस, स्पर्शरूप में पुनः पुनः परिणत होती है ? हाँ, गौतम ! होती है । क्योंकी-जैसे कोई वैडूर्यमणि काले. नीले, लाल, पीले अथवा श्वेत सूत्र में पिरोने पर वह उसी के रूप में यावत् पुनः पुनः परिणत हो जाते है, इसी प्रकार हे गौतम ! कृष्णलेश्या यावत् शुक्ललेश्या को प्राप्त होकर उन्हीं के रूप में यावत् परिणत हो जाती है । भगवन् ! क्या नीललेश्या, कृष्णलेश्या यावत् शुक्ललेश्या को पाकर उन्हीं के स्वरूप में यावत् परिणत होती है ? हाँ गौतम ! ऐसा ही है । इसी प्रकार कापोतलेश्या, तेजोलेश्या, पद्मलेश्या और शुक्ललेश्या में भी समझना ।
[४६४] भगवन् ! कृष्णलेश्या वर्ण से कैसी है ? गौतम ! जैसे कोई जीमूत, अंजन, खंजन, कज्जल,गवल, गवलवृन्द, जामुनफल, गीलाअरीठा, परपुष्ट, भ्रमर, भ्रमरों की पंक्ति, हाथी का बच्चा, काले केश, आकाशथिग्गल, काला अशोक, काला कनेर अथवा काला बन्धुजीवक हो । कृष्णलेश्या इससे भी अनिष्टतर है, अधिक अकान्त, अप्रिय, अमनोज्ञ और अधिक अमनाम वर्णवाली है । भगवन् ! नीललेश्या वर्ण से कैसी है ? गौतम ! जैसे कोई भंग, भृगपत्र, पपीहा, चासपक्षी की पांख, शुक, तोते की पांख, श्यामा, वनराजि, दन्तराग कबूतर की ग्रीवा, मोर की ग्रीवा, हलधर का वस्त्र, अलसीफूल, बाणवृक्ष का फूल, अंजनकेसिकुसुम, नीलकमल, नील अशोक, नीला कनेर अथवा नीला बन्धुजीवक वृक्ष हो, नीललेश्या इससे भी अनिष्टतर, अधिक अकान्त, अप्रिय, अमनोज्ञ और अधिक अमनाम वर्ण है । भगवन् ! कापोतलेश्या वर्ण से कैसी है ? गौतम ! जैसे कोई खदिर के वृक्ष का सार भाग, खेरसार, धमासवृक्ष का सार, ताम्बा, ताम्बे का कटोरा, ताम्बे की फली, बैंगन का फूल, कोकिलच्छद वृक्ष का फूल, जवासा का फूल अथवा कलकुसुम हो, कापोतलेश्या वर्ण से इससे भी अनिष्टतर यावत् अमनाम है ।
भगवन् ! तेजोलेश्या वर्ण से कैसी है ? गौतम ! जैसे कोई खरगोश या मेष या सूअर या सांभर या मनुष्य का रक्त हो, इन्द्रगोप, बाल-इन्द्रगोप, बाल-सूर्य, सन्ध्याकालीन लालिमा, गुंजा के आधे भाग की लालिमा, उत्तम हींगुल, प्रवाल का अंकुर, लाक्षारस, लोहिताक्षमणि, किरमिची रंग का कम्बल, हाथी का तालु, चीन नामक रक्तद्रव्य के आटे की राशि, पारिजात का फूल, जपापुष्प, किंशुक फूलों की राशि, लाल कमल, लाल अशोक, लाल कनेर अथवा लालबन्धुजीवक हो, तेजोलेश्या इन से भी इष्टतर, यावत् अधिक मनाम वर्णवाली होती है। भगवन् ! पद्मलेश्या वर्ण से कैसी है ? जैसे कोई चम्पा, चम्पक छाल, चम्पक का टुकड़ा, हल्दी, हल्दीगुटिका, हरताल, हरतालगुटिका, हरताल का टुकड़ा, चिकुर, चिकुर का रंग, स्वर्णशुक्ति, उत्तम स्वर्ण-निकष, वासुदेव का पीताम्बर, अल्लकीफूल, चम्पाफूल, कनेरफूल, कूष्माण्ड लता का पुष्प, स्वर्णयूथिका फूल, हो, सुहिरण्यिका-कुसुम, कोरंटफूलों की माला, पीत अशोक, पीला कनेर अथवा पीला बन्धुजीवक हो, पद्मलेश्या वर्ण में इनसे भी इष्टतर, यावत् अधिक मनाम होती है । भगवन् ! शुक्ललेश्या वर्ण से कैसी है ? गौतम ! जैसे कोई अंकरत्न, शंख, चन्द्रमा, कुन्द, उदक, जलकण, दही, दूध, दूध का उफान, सूखी फली, मयूरपिच्छ की मिंजी,