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आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद
[३६८] पंचप्रदेशीस्कन्ध में प्रथम, तृतीय, सप्तम, नवम, दशम, एकादश, द्वादश, त्रयोदश, तेईसवाँ चौवीसवाँ और पच्चीसवाँ भंग जानना ।
[३६९] षट्प्रदेशीस्कन्ध में द्वितीय, चतुर्थ, पंचम, छठा, पन्द्रहवाँ, सोलहवाँ, सत्रहवाँ, अठारहवाँ, बीसवाँ, इक्कीसवाँ और बाईसवाँ छोड़कर, शेष भंग होते हैं ।
[३७०] सप्तप्रदेशीस्कन्ध में दूसरे, चौथे, पाँचवें, छठे, पन्द्रहवें, सोलहवें, सत्रहवें, अठारहवें और बाईसवें भंग के सिवाय शेष भंग होते हैं ।।
[३७१] शेष सब स्कन्धों में दूसरा, चौथा, पाँचवाँ, छठा, पन्द्रहवाँ, सोलहवाँ, सत्रहवाँ, अठारहवाँ, इन भंगों को छोड़कर, शेष भंग होते हैं ।
[३७२] भगवान् ! संस्थान कितने कहे गए हैं ? गौतम ! पांच, परिमण्डल, वृत्त, त्र्यस्र, चतुरस्र और आयत । भगवन् ! परिमण्डलसंस्थान संख्यात हैं, असंख्यात हैं अथवा अनन्त हैं ? गौतम ! अनन्त हैं । इसी प्रकार यावत् आयत तक समझना । भगवन ! परिमण्डलसंस्थान संख्यातप्रदेशी है, असंख्यातप्रदेशी है अथवा अनन्तप्रदेशी है ? गौतम ! कदाचित् संख्यातप्रदेशी, कदाचित् असंख्यातप्रदेशी और कदाचित् अनन्तप्रदेशी है । इसी प्रकार आयत तक समझना ।
भगवन् ! संख्यातप्रदेशी परिमण्डलसंस्थान संख्यातप्रदेशों में, असंख्यात प्रदेशों में अथवा अनन्त प्रदेशों में अवगाढ़ होता है ? गौतम ! केवल संख्यात प्रदेशों में अवगाढ़ होता है । इसी प्रकार आयतसंस्थान तक समझना। भगवन ! असंख्यातप्रदेशी परिमण्डलसंस्थान संख्यात प्रदेशों में, असंख्यात प्रदेशों में अथवा अनन्त प्रदेशों में अवगाढ़ होता है ? गौतम ! कदाचित् संख्यात प्रदेशों में अवगाढ़ होता है और कदाचित् असंख्यात प्रदेशों में अवगाढ़ होता है । इसी प्रकार आयत संस्थान तक कहना । भगवन् ! अनन्तप्रदेशी परिमण्डलसंस्थान संख्यात प्रदेशों में, असंख्यात प्रदेशों में अथवा अनन्त प्रदेशों में अवगाढ़ होता है ? गौतम ! कदाचित् संख्यात प्रदेशों में अवगाढ़ होता है और कदाचित् असंख्यात प्रदेशों में अवगाढ़ होता है । इसी प्रकार आयतसंस्थान तक समझना ।
भगवन् ! संख्यातप्रदेशी एवं संख्यातप्रदेशावगाढ़ परिमण्डलसंस्थान चरम है, अचरम है, अनेक चरमरूप है, अनेक अचरमरूप है, चरमान्तप्रदेश है अथवा अचरमान्तप्रदेश है ? गौतम ! वह नियम से अचरम, अनेक चरमरूप, चरमान्तप्रदेश और अचरमान्तप्रदेश है । इसी प्रकार आयतसंस्थान तक कहना | भगवन् ! असंख्यातप्रदेशी और संख्यातप्रदेशावगाढ़ परिमण्डलसंस्थान में पूर्ववत् प्रश्न-गौतम ! संख्यातप्रदेशी के समान ही समझना । इसी प्रकार यावत् आयतसंस्थान तक समझना । भगवन् ! असंख्यातप्रदेशी एवं असंख्यातप्रदेशों में अवगाढ़ परिमण्डलसंस्थान में पूर्ववत् प्रश्न- गौतम ! संख्यातप्रदेशावगाढ़ की तरह समझना । इसी प्रकार यावत् आयतसंस्थान तक कहना । भगवन् ! अनन्तप्रदेशी और संख्यातप्रदेशावगाढ़ परिमण्डलसंस्थान ? गौतम ! संख्यातप्रदेशी संख्यातप्रदेशावगाढ़ के समान यावत् आयतसंस्थान पर्यन्त समझना । अनन्तप्रदेशी संख्यातप्रदेशावगाढ़ के समान अनन्तप्रदेशी असंख्यातप्रदेशावगाढ़ (परिमण्डलादि के विषय में) आयतसंस्थान तक कहना ।
__ भगवन् ! संख्यातप्रदेशी संख्यातप्रदेशावगाढ़ परिमण्डलसंस्थान के अचरम, अनेक चरम, चरमान्तप्रदेश और अचरमान्तप्रदेश में से द्रव्य की अपेक्षा से, प्रदेशों की अपेक्षा से और