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नन्दीसूत्रे जागर्षि किं वा स्वपिपि ? । रोहक आह-महाराज ! जागर्मि । राजापाह-रे रोहक ! तर्हि किं चिन्तयसि ? । रोहकः पाह-राजन् ! अजाया उदरे यन्त्रोत्तीर्णा इव वर्तुलगुलिकाः कथं भवन्तीति चिन्तयामि । तत एवमुक्ते सति राजा तमेव पृष्टवान् कथय रोहक ! कथमिति । रोहकेणोक्तम्-राजन् । संवर्तक नामकाद् वायु विशेषात् । एवमुक्त्वा रोहकः सुप्तः ।
॥ इति अजादृष्टान्तः ॥१०॥ प्रहर पूरा हुआ तो राजाने रोहक से कहा-रोहक ! तूं जग रहा है या सो रहा है? रोहक ने सुनते ही झट से उत्तर दिया-महाराज जग रहा हूं। सुनकर राजाने फिर उससे कहा-जगता हुआ क्या विचार कर रहा है ? रोहक ने कहा-महाराज ! क्या बतलाऊँ-बड़ा अच्छा विचार कर रहा हूं। वह यह है कि बकरी के पेटमें यंत्र (मशीन) पर घडी गई के समान जो गोल २गुलिका-लेंडी होती हैं वे कैसे होती हैं। रोहक की इस बात को सुनकर राजा ने कुछ भी उत्तर न देते हुए उससे ही पूछा कि रोहक! तू ही इसका खुलाशा उत्तर बतला। रोहक ने कहा-राजन् ! सुनो, बकरी के पेट में एक संवतक वायु रहा करती है जिससे उस के उदरमें इस प्रकार की गोल २ लेंडियां वना करती हैं। इस उत्तर से राजा प्रसन्न हुआ। रोहक बादमें सो गया ।
॥यह दसवां दूसरा अजादृष्टान्त हुआ ॥१०॥ પ્રહર પૂરો થયો ત્યારે રાજાએ રેહકને કહ્યું, “હક તું જાગે છે કે સૂઈ गयो छ?” रोड Hindi or तरत वाम माथ्यो “ भा२।०४! छु:" જવાબ સાંભળીને રાજાએ ફરી પૂછયું, “જાગતે જાગતે શે વિચાર કરે છે?” रोड ४ह्यु, “ महा२।०४ ! शुमता? घो। १ सरस विया२ ४२ २ह्यो छु. તે એ છે કે બકરીના પેટમાં યંત્ર વડે બની હોય તેવી જે ગોળ ગોળ ગોળીઓ લીંડીઓ હોય છે તે કેવી રીતે બનતી હશે ?” રાજાએ રોહકની આ વાત સાંભળીને કંઈ પણ જવાબ ન આપતાં તેને જ પૂછયું “રેહક ! તું જ તેને ખુલાસા पार पास मा५. " रोह , “२१न् ! सirat. मरीना पेटमां से સંવર્તક વાયુ હોય છે જેથી તેના પિટમાં આ પ્રકારની ગોળ ગોળ લીડીઓ બન્યા કરે છે.” આ જવાબથી રાજા પ્રસન્ન થયા. પછી રેહક ઉંઘી ગયે.
॥ श्री मत सभु अजा दृष्टांत समास ॥ १० ॥
શ્રી નન્દી સૂત્ર