Book Title: Agam 31 Chulika 01 Nandi Sutra Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 933
________________ ছাঁলৰঙ্কিা শ্রীকা-কামভিব: ____ 829 पुत्री शुशीला शुभवाललीला, "श्रीसुन्दरी" नाम विराजतेऽस्य / स्मेरानना पङ्कजिनीव कल्ये, तथे-"न्दुमत्य"-न्यमनोहराऽऽख्या // 6 // (7) श्री वाडिलालस्य कनिष्ठबन्धु, “मनोहरो" नाम मनोहराङ्गः / तस्याऽस्ति भार्या किल " मजुला"-ख्या, धर्मानुरक्ता सरलस्वभावा // 7 // योग-शीतांशु-शून्या-ति,-(२०१३) मिते वैक्रमवत्सरे / वैशाखस्य सिते पक्षे, तृतीयायां गुरोर्दिने // 8 // पुरे "वीरमगामे "ऽस्मिन् , “गुर्जरा"-न्तर्गते गतः / "नन्दीसूत्रस्य" सम्पूर्णी, टोकां तत्प्रार्थितो व्यधाम् // 9 // // इति शास्त्रमशस्तिः सम्पूर्णा // इति श्रीविश्वविख्यात-जगद्वल्लभ-प्रसिद्ध वाचकपञ्चदशभाषाकलितललितकलापालापक-प्रविशुद्धगधपद्यनैकग्रन्थनिर्मायक-वादिमानमर्दक श्रीशाहूछत्रपति-कोल्हापुरराजमदत्त'जैनशास्त्राचार्य'-पदभूषित-कोल्हापुरराजगुरु-बालब्रह्मचारि-जैनाचार्यजैनधर्मदिवाकर-पूज्यश्री-घासीलाल तिविरचिता नन्दीसूत्रस्यज्ञानचन्द्रिका टोका सम्पूर्णा / // शुभं भूयात् // // श्रीरस्तु // શ્રી નન્દી સૂત્ર

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