Book Title: Agam 31 Chulika 01 Nandi Sutra Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 883
________________ ज्ञानचन्द्रिका टीका-निमित्तदृष्टान्तः ७७९ निशम्य गुरुस्तं प्रशंसति स्म । अविमृश्य कारिणं द्वितीयंशिष्यं गुरुर्वदति-वत्स ! अत्र नास्ति मम दोषः, किंतु तवायं दोषः, यद् विमर्श न करोषीति, अस्माभिरुभयोः सदृशं पाठितमिति । ॥ इति वैनयिकबुद्धेः प्रथमो निमित्तदृष्टान्तः ॥ १॥ अर्थशास्त्रविषये कल्पकमन्त्रिदृष्टान्तः श्रूयते । स च वैनयिक्या बुद्धेर्द्वितीयो दृष्टान्तो बोद्धव्यः ॥ २॥ लिपिज्ञानं तृतीया वैनयिकबुद्धिः ॥३॥ गणितज्ञानं चतुर्थी वैनयिकी बुद्धिरिति द्रष्टव्यम् ॥ ४ ॥ पञ्चमस्तु कूपदृष्टान्तः-कूप इत्यनेन भूमिविज्ञानेकुशल इत्यवगम्यते स चैवम् -कश्चिद् भूमिविज्ञानकुशलः पुरुषः कृषोवलं प्राह-अत्र भूम्यामियति दूरे जलमस्ति । ने उस की बहुत अधिक प्रशंसा की। तथा अविनीत शिष्य को समझाते हुए उससे कहा-वत्स ! इस में मेरा कुछ भी दोष नहीं है, दोष है तो केवल तुम्हारा ही। जो तुम विनयादि गुणों से विवर्जित होकर मेरी कही हुई बात पर कुछ भी विमर्श नहीं करते हो। यह विश्वास रक्खो-हमने तो तुम दोनों को ही एकसाथ पढाया है ॥१॥ ॥यह प्रथम निमित्तदृष्टान्त हुआ ॥१॥ ___ अर्थशास्त्र के ऊपर जो कल्पक मंत्री का दृष्टान्त है-बह वैनयिक बुद्धि का द्वितीय दृष्टान्त है २ । लिपिज्ञान, यह वैनयिक बुद्धि का तीसरा दृष्टान्त है । गणितज्ञान यह वैनयिक बुद्धि का चौथा दृष्टान्त है। कूप दृष्टान्त इस प्रकार हैं कोई एक व्यक्ति ऐसा था जो भूमिविज्ञान में विशेष कुशल था। उसने किसी किसान से कहा कि-इस भूमि में इतनी दूरी पर जल है। સાંભળીને ગુરુએ તેની ઘણી જ પ્રશંસા કરી, તથા અવિનીત શિષ્યને સમજાવતા કહ્યું “વત્સ! આમાં મારો કોઈ દોષ નથી. દેષ હોય તે ફક્ત તારે જ છે કે તું વિનયાદિ ગુણોથી રહિત બનીને મેં કહેલી વાત પર કોઈ નિર્ણય જ કરતે નથી. એ વિશ્વાસ રાખ કે મેં તો તમને બનેને એક સરખું જ શિખવ્યું છે. છે આ પહેલું નિમિત્તદષ્ટાંત સમાપ્ત . ૧ અર્થશાસ્ત્ર ઉપર જે કલ્પકમંત્રીનું દષ્ટાંત છે, તે વૈનચિકબુદ્ધિનું બીજું दृष्टांत छ. (२). लिपिज्ञान, वैनयि४ भुद्धिनुनी ४८ia छे (3). गणितज्ञान, એ નચિકબુદ્ધિનું ચોથું દષ્ટાંત છે (૪). પાંચમું ફૂપ દષ્ટાંત આ પ્રમાણે છે શ્રી નન્દી સૂત્ર

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