Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 01
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Dadar Aradhana Bhavan Jain Poshadhshala Trust
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श्रीरामचन्द्र-जिनागमसंग्रहे
शतक १०उद्देशक ३.
हवे आ चार मांगामांनी प्रथम भंग पर युक्त नयी कारण के ते प्रथम भांगामां हिंसार्नु लक्षण पटतुंनधी द्रव्य हिंसा एटले ईर्यसमितिपूर्वक गमन करनार जीवद्वारा कीडी बगेरे जीवोनुं जे व्यापादन ते खरी रीते तपासीए तो पूर्वप्रमाणेना लक्षणवाळी हंगामां हिंसार्नु उक्षण न परतुं नमी कहां से के" जे पुरुष प्रमन्त होय अने तेनी क्रिवाची जे जीवो हवाइ जाय तो ते जीवोनो हणनार चोक्कस ते प्रमत्त पुरुष व कड़ेवाय." आ लक्षण प्रथम भांगामां जणातुं नथी, माटे ते हिंसा शी रीतिए कहवाय ? शास्त्रमां तो तेने हिंसा कही छे. समा० - पूर्वनी शंका युक्त नथी. कारण के पूर्वी गाथा हिंसा ते लक्षण इन्याहिंसानुं नवी. पण द्रव्य अने भानुं छे. इयहिंसा लक्षण तो मात्र मरण के अने ते जे प्रथम भांगामां घटी जाच के माटे कोइ प्रकारनो वांधी आयतो नयी. हये नय संबंध आ प्रमाणे शंका छे-द्रव्यास्तिक वगेरे सात नयो छे. तेमां द्रव्यास्तिक नयना मतभी से वस्तु नित्य छे तेज वस्तु पर्यायास्तिक नयना मती अनित्य केम होइ शके कारण के निल अने अनिल ए वे धर्मों परस्पर विरुद्ध होवाची एक ज पदार्थमां केम संभवी शके समा०- ए शंका अयुक्त छे. कारण के वस्तुमां ने नित्य अने अनित्यत्व धर्म के ते मित्र मिस्र अपेक्षा है. अर्थात् द्रव्यनी अपेक्षा बस्तु निल्प छे अने पर्यावनी अपेक्षाए वस्तु अनित्य है. एक काळे एक ज वस्तु नि मिन अपेक्षा विरुद्ध धर्मोंनो समावेश तो छोकमां पण देखाय छे. जेम के पितानी अपेक्षा जे मनुष्य पुत्र कहेवाय छे ते व मनुष्य पोताना पुपनी अपेक्षा पिता का है. अर्थात् एक व मनुष्य एक ज का जूदी जूही अपेक्षार पिता पण कहेवाय छे अने पुत्र पण हेवा छे. हवे नियमोमां नियमो शंका शंका आ प्रमाणे नियम एटले अभिग्रह तेमां एक ज नियम करतो पण बीजा नियमो करवानुं श्रं प्रयोजन? अर्थात् सर्वविरतिरूप सामायिक एक
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समाधान.
नयो विषे शंका.
समाधान.
ज कर पण पौरुषी-पोरची वगेरे बीजा नियमो करयाची कारण के एक सामायिक करवायी जनघा गुगोनो ठाम थाय छे। अने एक नियम करवाथी बधो लाभ थाय छे. तो पण बीजा नियमो करवानुं शास्त्रमां लख्युं छे. तेनुं शुं कारण ? समाधान:- पूर्वनी शंका अयुक्त छे. विक करवामां आवे तो पण धमादना नाशक अने अप्रमादना वर्धक होवाची पौरुषी वगेरे बीजा नियमो पण करवा योग्य छे. क पापना छोडवारूप सामायिक करवामां आवे तो पण पौरुषी वगेरे नियमो करवा ए गुणकर छे. कारण के ते नियमो अप्रमादने वधारनारा छे; एम प्रमाण दिये शंका, आशामी जान." हवे प्रमाण संबंधे शंका आ प्रमाणे हे प्रमाण प्रत्यक्षादिरूप . तेमां आगमप्रमाण संबंध संशय संगये है. आगममां उं छे के, भूमिधी उंचे आयोजन सूर्य संचरे छे. अने आपणे आपणी नजरथी तो ते सूर्यने हमेशा पृथ्वीश्री नीकळतो देखीए डीए, तो नहीं सत्य बात शी छे? समाधानः जेवी रीते आपणे सूर्यने नीकळतो देखीए छीए ते आपणुं प्रत्यक्ष सत्य नथी. कारण के सूर्य अत्यंत दूर होवाथी ते संबंधे आपणने भ्रम भयो संभवत
समाधान.
समाधान,
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येारूपः समुद्रेरित सारीरे भवेऽस्मिन् दायी यः सहपानां परकृतिकरणाची तपखी। अस्माकं वीरवीरोऽनुगतनरपरी घाइतो, याद श्रीवीरदेवः सकलशिववर मारहा चाप्तस्यः ॥१७
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कारण के सामाछे के, "सर्व
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