Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 01
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Dadar Aradhana Bhavan Jain Poshadhshala Trust
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२११
श्रीरायचन्द्र-जिनागमसंग्रहे
शतक १.-उद्देशक १०.
३११.-"पंच परमाणुपोग्गला एगयओ साहणंति, साह- ३११.-"पांच परमाणु पुद्गलो एक एकने परस्पर चोंटी णित्ता दुक्खचाए कज्जति. दुक्खे विय णं से सासए सया जाय छे अने दुःखपणे कर्मपणे-थाय छे. ते दुःख-कर्म-शाश्वत समिअं उवचिजह य; अवचिज्जइ.य."
छे अने हमेशा सारी रीते उपचय पामे छे तथा अपचय पामे छे." ३१२.-"पुवि भासा भासा. भासिज्जमाणी भासा अभासा. ३१२.--"बोलवाना समयनी पूर्वे जे भाषा-भाषाना भासासमयवितिकंतं च णं भासिआ भासा."
पुद्गलो छे ते भाषा छे. बोलवाना समयनी जे भाषा छे ते अभाषा छे अने बोलवाना समय पछीनी-जे (भाषा) बोलाएली छे ते
भाषा छे." ३१३.-"जा सा पुवं भासा भासा. 'भासिज्जमाणी भासा ३१३.-"जे ते पूर्वनी भाषा भाषा छे, बोलाती भाषा - अभासा. भासासमयवितिकंतं च णं भासिआ भासा. सा किं अभाषा छे अने बोलवाना समय पछीनी जे (भाषा) बोलाएली भासओ भासा ? अभासओ भासा ? अभासओ णं सा भासा. छे ते भाषा छे, तो शुं ते बोलता पुरुषनी भाषा छे के अणबोलता नो खलु सा भासओ भासा."
पुरुषनी भाषा छे! (उत्तर)-अणबोलता पुरुषनी ते भाषा छे.
पण ते बोलता पुरुषनी तो भाषा नथी ज." ३१४.-"जा सा पुव्वं किरिया दुक्खा. कज्जमाणी किरिया ३१४.-"जे ते पूर्वनी क्रिया छे ते दुःखहेतु छे. कराती अदुक्खा. किरियासमयवितिकंतं च णं फडा किरिया दुक्खा." क्रिया दुःखहेतु नथी अने करवाना समय पछीनी-जे कराएली
किया छे ते दुःखहेतु छे.". ३१५.-"जा सा पुव्वं किरिया दुक्खा. कज्जमाणी ३१५.-"जे ते पूर्वनी क्रिया छे ते दुःखहेतु छे. कराती किरिया अदुक्खा. किरियासमयवितिकंतं च णं कडा किरिया क्रिया दुःखहेतु नथी अने करवाना समय पछीनी-जे करादुक्खा. सा कि करणओ दुक्खा ? अकरणओ दुक्खा? अकरणओ एली-क्रिया छे ते दुःखहेतु छे तो शुं ते करणथी दुःखहेतु छे के 'सा दुक्खा. नो खलु सा करणओ दुक्खा, सेवं वत्तव्वं सिया." अकरणथी दुःखहेतु छे ? (उत्तर)-ते अकरणथी दुःखहेतु छे
पण ते करणथी दुःखहेतु तो नथी ज. ते ए प्रमाणे वक्तव्य छे." ११६.-"अकिचं दुक्खं, अफुसं दुक्खं, अकज्जमाणकडं ३१६.---"अकृत्य दुःख छ, अस्पृश्य दुःख छे अने अक्रिदुक्खं अफट्ट अकट्ठ पाण-भूअ-जीव-सत्ता वेदणं वेदति इति यमाणकृत दुःख छे तेने नहीं करीने, नहीं करीने प्राणी, वत्तव्वं सिया."
भूतो, जीवो अने सत्त्वो वेदनाने वेदे छे ते ए प्रमाणे वक्तव्य छे"
(ए बधुं पूर्वे जणावेलुं अन्यतीर्थिकोनुं मत छे.) ३१७. प्र०-से कहमेअंभंते ! एवं?
३१७. प्र०—हे भगवन् ! ए ते (अन्यतीर्थिकोनुं मत)
केवी रीते ए प्रमाणे होय ? .. ३१७. उ०—गोयमा ! जंणं ते अन्नउत्थिा एवं आइ- ३१७. उ० हे गौतम ! जे ते अन्यतीर्थिको कहे छ के, क्खंति, जाव-वेदणं वेदेति वत्तव्वं सिया. जे ते. एवं आहिंस, "यावत-वेदनाने वेदे छे, एम कहेवाय” तेओए जे ए प्रमाणे मिच्छा ते एवं आहिंस. अहं पुण गोयमा । एवं आइक्खामि एवं का छे ते खोटं का छे. वळी हे गौतम ! हुँ एम कहु छुक, खल चलमाणे चलिए, जाव-निजरिजमाणे निजिने.
चालतं ते चाल्यं कहेवाय अने यावत्-निर्जरात हाय त निजरायु
कहेवाय. ३१८.-"दो परमाणपुग्गला एगयओ साहणंति. कम्हा ३१८.-"बे परमाणु पुद्गलो एक एक परस्पर चोटी जाय दो परमाणपोग्गला एगयओ साहणंति ? दोण्हं परमाणपोग्गलाणं छे. बे परमाणु पुद्गलो एक एक परस्पर चाटा जाय छ अस्थि सिणेहकाए, तम्हा दो परमाणपोग्गला एगयओ साहणंति. कारण ? बे परमाणु पुद्गलोमा चीकाश छे माटे बे परमाणु पुद्गलो
१. मूलच्छायाः-पश्च परमाणुपुद्गला एकतः संहन्यन्ते, संहत्य दुःखतया क्रियन्ते. दुःखमपि च तत् शाश्वतं सदा समितम् उपचायत, अपचीयते. पूर्व भाषा 'भाषा. भाष्यमाणा भाषा अभाषा. भाषासमयव्यतिकान्ता च भाषिता भाषा. या सा पूर्व भाषा भाषा, भाष्यमाणा भाषा अभाषा, भाषासमयव्यतिक्रान्ता च भाषिता भाषा, साकिं भाषमाणस्य भाषा, अभाषमाणस्य भाषा! अभाषमाणस्य सा भाषा. ना खलु सा भाषमाणस्य भाषा. या सा पूर्व क्रिया दुःखा, क्रियमाणा क्रिया अदःखा. क्रियासमयव्यतिकान्ता च कृता किया दुःखा. या सा पूर्व क्रिया दुःखा, क्रियमाणा क्रिया अदुःखा, क्रियासमयव्यतिक्रान्ता च कृता क्रिया दुःखा. सा किं करणतः दुःखा, अकरणतो दुःखा? अकरणतः सा दुखा, ना खलु सा करणतो दुःखाः तदेवं वक्तव्यं स्यात. अत्यं दःखम. अस्पृश्यं दःखम. अक्रियमाणकतं दःखमः अकला अकृत्वा प्राण-भूत-जाव-सत्वा वदना " तत् कथम् एतद् भगवन् | एवम् ? गौतम । यत् ते अन्यतीथिका एवम आख्याति यावत-वेदनां वेदयन्ति वक्तव्यं स्यात्. ये ते एवम् आहुः, मिथ्या ते एवमाहुः. अहं पुनर्गोतम ! एवम् आख्यामि-एवं खलु चलमान चलितम , यावत्-निर्यिमाणं निर्णिम्. द्वौ परमाणुपुद्गलौ एकतः संहन्यत कलाद
दो परमाणुपुद्गलो एकतः संहन्येते? द्वयोः परमाणुपुरलयोः अस्ति नेहकायः, तस्माद्द्वी परमाणुपुद्गली एकतः संहन्येतेः-अनु. Jain Education International
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