Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 01
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Dadar Aradhana Bhavan Jain Poshadhshala Trust

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Page 322
________________ जीवाभिगम. ३०२ श्रीरायचन्द्र-जिनागमसंग्रहे शतक २.-उद्देशक ८. समा, अलंकार सभा अने व्यवसाय सभा छे. ते बधार्नु प्रमाण सीधर्ममा रहेनार वैमानिक देवोनी सभा वगेरेना प्रमाण करतां अधू जाणवं. तेथी तेओनी उंचाई ३६ योजन छे, लंबाई पच्चास योजन छे अने विष्कम पच्चीश योजन छे. विजयदेवनी सभा वगैरेनी पेठे "ते सभा वगेरे स्थानोमां अनेक थांभला छे, तेमा उंची अने सुंदर वज्रमय वेदिका छे" ए प्रकारे ए बधानुं वर्णन करवं. तथा "दरवाजा उपर छत्र उपर छत्रने आकार रहेला घणा आठ आठ मंगलध्वजो छे' इत्यादि. वळी समादिकनो अलंकार कहेवो. विजयदेव संबंधी जे काइ जीवाभिगममा कयुं छे ते बधुं अहीं चमरना विषे उपपात सुधी कहे. उपपात सभामां. ते ताजा उत्पन्न थएल देवनो संकल्प आ प्रकारनो छे:-मारु (करनारनु) आगळ पाछळ शुं कल्याण छ । इत्यादि. सामानिकादि देवोए मोटी ऋद्धिथी अभिषेक सभामा करेलो अभिषेक. कपडा अने घरेणांथी अलंकार सभामा करेलो शणगार. पुस्तकना वाचनथी व्यवसाय सभामा करेलो व्यवसाय. सिद्धायतनमा सिद्धोनी मूर्ति वगेरेनुं पूजन. सामानिकादिरूप परिवारथी युक्त थइ चमरतुं सुधर्मा सभामां आवq. सामानिकादिरूप परिवार कहेवो. तेनुं महर्षिकपणुं आ छे:-['महिड्डिए'] इत्यादि शब्दोथी तेनुं महर्धिकपणुं कहेवु. बीजी वाचनामा ए बधी वात अर्थथी जणाय ज छे. घेदारूपःसमुद्रेऽखिलजलचरिते क्षारभारे भवेऽस्मिन् , दायी यः सद्गुणानो परकृतिकरणाद्वैतजीवी तपखी। अस्माकं वीरवीरोऽनुगतनरवरो वाहको दान्ति-शान्त्यो, दद्यात् धीवीरदेवः सकलशिववर मारहा चाप्तमुख्यः ॥१॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org.

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