Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 01
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Dadar Aradhana Bhavan Jain Poshadhshala Trust

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Page 367
________________ वालुया-विहि. शब्दसूचा. ३४७ प्रा० पू० वेळु. वालुया वावज्जति वास वासंति ८९ विपुल वाससहस्स वास वाहण वाहणा वि* विआइपण्णत्ति* विउक्कमति विउल* विउव्वर बिउब्बिय विउवित्ता विउसग्ग विउसरणया विक्खंभ* विकिण्ण विग्गह* २१८ १८ २७९ १५२ विरह. १७८ विग्गहगइ विग्गहिय विगच्छंत विगयय* विगल* सं० प्रा० सं० वालुका विनाणफल विज्ञानफल विपद्यन्ते (तेओ) नाश पामे छे. १२९ विनाय विज्ञात वास रहे. विनेय* विज्ञेय वर्षन्ति (तेओ) वरसे छे. विप्पजहाय विप्रहाय वर्षसहस्र हजार वर्ष. विप्पमुक्क* विप्रमुक्त वष भरत वगेरे क्षेत्र. विष्परिणमिस्सति विपरिणस्यति वाहन बळद वगेरे. विप्परिणामइत्ता* विपरिणमय्य उपानह पगरखां. विपुल अपि पण. व्याख्या (विवाह) प्रज्ञप्ति भगवतीसूत्र. विभंग* विभा. व्युत्क्रामन्ति (तेओ) नाश पामे छे. २८९ विन्भंगअण्णाणपजव विभङ्गाज्ञानपर्यव विपुल घj. विन्भंगि* विभनिन् विकुर्वति बीजु रूप धारण करे छे. १८३ विभूसिय विभूषित विकुर्वित विकुर्वेल. २७१ विमाण विमान विकुय विकुर्वण करीने. १८३ वियदृछउम व्यावृत्तछद्म व्युत्सर्ग त्याग करवो. २०६ वियहभोइ व्यावृत्तभोजिन् व्युत्सर्जनता छोडी देवू. वियाण विज्ञायक विष्कम्भ पहोळाई. वियाणइ विजानाति विकीर्ण भरेल. विग्रह स्थूल शरीरमा रह्या सिवाय वियाणाहि* विजानीहि सूक्ष्म शरीर साथे जीवनी वियाहि* व्याख्यात वांकी गति. विरह* विरह विग्रहगति विरहकाल* विरहकाल विग्रहित शरीरसहित. २९८ विरहिम विरहित विगच्छत् नाश पामतुं.. विराइय* विराजित विगतक नाश पामेल. विराह* विराधक विकल अधूरो-पूरी पांच इंद्रियो विराहि असंजम विराधितसंयम विनानो जीव. १५५ विराहिअसंजमा- विराधित संयमाविकलेन्द्रिय संजम संयम अनुपयोगि वात. विवरिय* विपरीत विच्छर्दित वधारे छोडेल. २७७ विविह विविध . विचित्र. २७३ विवेग विवेक (ते) विद्यमान छे. विसप्पमाणहिअय विसर्पमाणहृदय ते नामर्नु स्वर्गर्नु विमान. २२२ विसभक्खण विषभक्षण ते नामनो एक देव. २९९ विसमाउ विषमायुः विद्याप्रधान प्रधानपणे विद्यावाळो. २८६ विसमोववन्नग विषमोपपन्नक विद्युत्कुमारेन्द्र एक जातना देव. विसय* विषय विद्युचार विजळीनी हयाती. ३०४ विसारअ विशारद विनय विनय. विसुद्धलेस्सतरग विशुद्धलेश्यतरक विनत नमी गएल-फळोथी विसुद्धवनतरग विशुद्धवर्णतरक लची गएल. विसेस* विशेष विनिष्कम्य विसेसहीण* विशेषहीन २५५ विनिश्चितार्थ अर्थनो निश्चय करनार. २७७ विसेसूण विशेषोन विनिघात विसेसेइ* विशेषयति नाश. १८४ विनयवाळो. विसंजोएइ विसंयोजयति १६७ विनीत विहर विहरति जाणकार-पंडित. विहरमाण* विहरमाण २२८ विस्तृत २९८ विहरति विहरन्ति विस्तीर्ण २७६ विहरित्तए फल संबंधी संशयवाळो. १२५ विहरिता विहृत्य विहाडेंति* ११४ विघटयन्ति व्यतिकान्त विहाण विधान २१४ विध्येत् (ते) विधे. विहाणमग्गण* विधानमार्गण विध्वंसनता विज्ञान विहार ८३ विहि* विधि For Private & Personal Use Only जेनुं फळ विज्ञान छे ते. २८३ विशेष जाणेल. १३२ विशेष जाणवा योग्य. १२९ छोडी दईने. छुटो-रहित. (a) विपरिणाम पामशे. १३३ विपरिणाम पमाडीने. ६० राजगृह नगरी पासे आवेलो एक पर्वत. २४४ एक जातर्नु अविशद ज्ञान. १५२ विभंग अज्ञाननां परिणामो.३०९ विभंगवाळो. शोभा पामेल. २३४ विमान. शठता विनानो. हमेशा जमनार(1). २३४ जाणकार. २३४ (ते) विशेषपणे जाणे छे. ४८ (तुं) जाण. कहेल. २२१ विरहनो समय. २२१ विरहवाळु. २२१ शोभेलं. विराधना करनार. संयमनी विराधना करनार.१०८ श्रावक धर्मनी विराधना करनार. १०८ उलटुं. विविध. विवेक. हपंथी उछळता हृदयवाळो.२३४ झेर खावं. विषम आवरदावाळो. ९३ साथे उत्पन्न नहीं थएल. ९३ विषय. पंडित. २३१ विशुद्ध लेश्यावाळो. विशुद्ध वर्णवाळो. विशेष. वधारे ही'. वधारे ऊणु. (ते) विशेष करे छे. ५२ (ते) छूटो थाय छे. २३० (ते) रहे छे, विहार करे छे. ३३ विहरतो. तेओ विहरे छे. २७७ विहरवाने. विहरीने. (तेओ) नाश करे छे. २५३ भेद, विधान. विशेष गवेषण. २३१ " विकथा विगले दिय* विगहा* विच्छडिअ विचित्त* विजए* विजय विजय विजापहाण विज्जुकुमारेंद विज्जुयार* २०६. विचित्र विद्यते विजय विजय १४२ विण विणमिय विनय. विनय. नीकळीने. ११६ विनीत विणय विणिक्खमित्ता* विणिच्छियट्ठ विणिहाय विणी विणीय* विष्णु . वित्थड वित्थिन विति किच्छिम वितिगिंछिम मितिकत विज्ञ विस्तरेल. विहृतम् विचिकित्सित २०३ " . वीतेल. बसणया १९३ नाश, विशेष ज्ञान. १९३ विहार विहार. विधि. ६५ Jain Education International www.jainelibrary.org

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