Book Title: Vividh Tirth Kalpa
Author(s): Jinvijay
Publisher: Singhi Jain Gyanpith
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विविधतीर्थ कल्पे
अणहिलवाडपट्टणेय पोरवाडकुलमंडणा आसराय - कुमरदेवितणया गुज्जर धराहिवइसिरिवीरधवलरज्जधुरंधरा वत्धुपाल-तेजपालनामविज्जा दो भायरो मंतिवरा हुत्था । तत्थ तेजपालमंतिणा गिरिनारतले निअनामंकिअं तेजलपुरं पवरगढमढपवामंदिर आरामरम्मं निम्माविअं । तत्थ य जणयनामंकिअं आसरायविहारु ति पासनाहभवणं काराविअं । जणणीनामेणं च कुमरसरु त्ति सरोवरं निम्माविअं । तेजलपुरस्स 5 पुइदिसाए उग्गसेणगढं नाम दुगं जुगाइना हप्पमुहजिणमंदिररेहिल्लं विज्जइ । तस्स य तिण्णि नामधिज्जाई पसिद्धाई । तं जहा - उग्गसेणगढं ति वा, खंगारगढं ति वा, जुष्णदुग्गं ति वा । गढस्स बाहिं दाहिणदिसाए चउरिआ-बेई-लड्डुअओवरिआ पसुवाडयाई ठाणाई चिट्ठति । उत्तरदिसाए विसालथंभसालासोहिओ दसदसारमंडवो गिरिदुवारे य पंचमो हरी दामोअरो सुवण्णरेहानईपारे बट्टा | काल मेहसमीवे चिराणुवत्ता संघस्स बोलाविआ' तिजपालमंतिणा मिल्हाविआ कमेण उज्जयंतसेले । वत्थुपालमंतिणा सितुजा10 वयारभवणं अट्ठावय- संमे अमंडवो कबड्डजख मरुदेविपासाया य काराविआ' । तेजपालमंतिणा कल्लाणचयचेइअं कारिअं | इंदमंडवो अ देपालमंतिणा उद्धराविओ । एरावण-गयपय मुद्दा अलंकिअं गईदपयकुंडं अच्छइ । तत्थ अंगं पक्खालित्ता दुक्खाण जलंजलिं दिति जत्तागयलोआ । छत्तसिलाकडणीए सहस्संबवणारामो | जत्थ भगवओ जायवकुलपईवस्स सिवा-समुह विजयनंदणस्स दिक्खा-नाण-निवाणकल्लाणयाई' संजायाइं । गिरिसिहरे चडित्ता अंबिआदेवीए भवणं दीसइ । तत्तो अवलोअणसिहरं । तत्थ 15 ठिएहिं किर दसदिसाओ नेमिसामी अवलोइज्जइति । तओ पढमसिहरे संबकुमारो, बीसिहरे पण्णो । इत्थ पए ठाणे ठाणे चेइएसु रयण - सुवण्णमयजिणबिंबाई निच्चण्हवअचिआई दीसंति । सुवण्णमेयणी अ अगधाउरसभेइणी दिप्ती दीसइ । रत्तिं च दीवर व पज्जलतीओ ओसहीओ अवलोइज्जति । नाणाविहतरुवरवल्लिदलपुफफलाई पए पर उबलब्भंति । अणवरयपझरंतनिज्झरणाणं खलहलारावयमत्तकोइल भमरझंकारा य सुवंति ति । उज्जयंतमहातित्थकप्पसेसलवो इमो । जिणप्पहमुणिंदेहिं लिहिओ त्थ जहासु ॥ १ ॥
॥ श्रीरैवतककल्पः समाप्तः ॥
॥ ग्रं० १६१, अक्षर २७ ॥
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१०
IP वालाविया ।
एतदण्डान्तर्गता पंक्तिः पतिता C आदर्श । 2 A कलाणजाया Pa कहाणाई जायाई 3 Pa°लोइज्नर Pb °लोइज्जति । 4 Pb ° कोयल । + Pa इति श्री रैवतकरूपः ।
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