Book Title: Vividh Tirth Kalpa
Author(s): Jinvijay
Publisher: Singhi Jain Gyanpith

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Page 55
________________ कोशाम्बीनगरीकल्पः। मेघनादः स्फुरन्नादः शात्रवाणां रणागणे । क्षेत्रपालापणीः कामान् कांस्कान् पुंसां पिपर्ति न ॥ २७ ॥ श्रीगौतमस्यायतनं कल्याणस्तूपसंनिधौ । दृष्टमात्रमपि प्रीतिं पुष्णाति प्रणतात्मनाम् ॥ २९॥ वर्षे सिद्धा सरवद्रसशिखिकुमिते (१३६४) वैक्रमे तीर्थमौले. सेवाहेवाकिनां श्रीर्वितर सुरतरो ! देवतासेवितस्य । वैभारक्षोणिमर्तुर्गुणगणभणनव्यापृता भक्तियुक्तैः सूक्तिजैनप्रभीयं मृदुविशदपदाऽधीयतां धीरधीभिः ॥ २७ ॥ ॥श्रीवैभारगिरिमहातीर्थकल्पः॥ ॥ ० ३१, अ० २ ॥ १२. कोशाम्बीनगरीकल्पः। वच्छाजणवए कोसंबी नाम नयरी' ! जत्थ चन्द-सूरा सविमाणा सिरिवद्धमाणं नमंसिउं समागया । तत्थ 10 तदुजोएण वेलं अयाणंती' अजा मिगावई समोसरणे पच्छा ठिआ । चंदाइच्चेसु सट्टाणं गएसु अजचंदणाइसाहुणीसु कयावस्सयासु पडिस्सयं हवमागया। अज्ञचंदणाए उवालद्धा निआवराहं समिती पायपडिया चेव केवलं संपत्ता । जत्थ य उज्जेणीओ पुरिसपरंपराणीयइट्टयाहिं पजोअरण्णा मियावईअज्झोववण्णेन दुग्गं कारिअं अज्ज वि चिट्टइ। जत्थ य मिगावईकुक्खिसंभवो गंधववेयनिउणो सयाणीअपुत्तो उदयणो वच्छाहियो अहेसि। 15 जत्थ चेइएसुं पिक्खगजणनयणअमयंजणरूवाओ जिनपडिमाओ। जत्थ य कालिंदीजललहरिआलिंगिज्जमाणाणि वणाणि । जत्थ पोसबहुलपडिवयपडिवन्नाभिग्गहस्स सिरिमहावीरस्स चंदणबालाए पंचदिवसूणछम्मासेहिं सुप्पकोणद्विअकुमासेहिं पारणं कारियं । वसुहारा य अद्धतेरसकोडिपमाणा देवेहिं वुढा । अओ चेव वसुहार त्ति गामो नयरीसंनिहिओ पसिद्धो वसइ । पंचदिवाणि अ पाउठभूआणि । इत्तु च्चिअ तहिणाओ पहुडि जिट्टसुद्धदसमीए सामि-20 पारणदिणे तित्थन्हाणदाणाई आयारा तत्थ अज वि लोए पयस॒ति । जत्थ य पउमप्पहसामिणो चवण-जम्मण-दिक्ख-नाणकल्लाणगाइं संवुत्ताई। जत्थ य सिणिद्धच्छाया कोसंबतरुणो महापमाणा दीसंति । जत्थ य पउमप्पहचेइए पारणकारावणदसाभिसंधिघडिआ चंदनयालामुत्ती दीसइ । जत्थ अज्ज वि तंमि चेव चेइए पइदिणं पसंतमुत्ती सीहो आगंतूण भगवओ भत्तिं करेइ । 25 सा कोसंबीनयरी जिणजम्मपवित्तिआ महातित्थं । अम्हाणं देउ सिवं युवंती जिणप्पहसूरीहिं ॥ ॥ इति कोशाम्बीनगरीकल्पः॥ ॥ ग्रं० १८, अ० २१ ॥ 1 B नगरी। 2 B अजाणती।

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