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विचारपोथी
२७ इस लड़केको छोटेसे बड़ा 'मैंने किया और बाकीके लड़के ? 'भगवानने मारे'--यह कैसे कहा जा सकता है ! या तो दोनों फल हम स्वीकार करें या दोनों भगवानको सौंप दें। सन्तोंने दूसरा मार्ग लिया है। जिसकी हिम्मत हो वह पहला मार्ग ले ।
"पाप-पुण्यकी बुद्धि ईश्वर ही देता है। उसे हम क्या करें !" "हां, उसका अच्छा-बुरा फल भी वही भुगतता है। उसे भी
तुम क्या करोगे !"
३०
___ कर्तृत्व-हीनतासे कर्तृत्व श्रेष्ठ। पर कर्तृत्वसे अकर्तृत्व श्रेष्ठ।
पतिभावसे ईश्वरकी भक्ति करनेको ‘मधुरा भक्ति' कहते हैं। मधुरा भक्ति याने ब्रह्मचर्य ; क्योंकि मधुरा भक्ति करनेवाला यदि पुरुष हो तो उसे अपना पुरुषभाव भूल जाना पड़ेगा। वह यदि स्त्री हो तो ईश्वरके सिवाय किसी भी पुरुषके विषय में उसके मन में पतिभाव नहीं रहेगा। पहले प्रकारका उदाहरण शुकदेव । दूसरे प्रकारका उदाहरण गोपी।
साधन, छटपटाहट, अनुभव और उपकार ।
३२ जिसके कामक्रोधोंका जो विषय, वही उसका विषय । 'कामक्रोध आम्ही वाहिले विट्ठलीं।'
-तुकाराम (आम्ही हमने । वाहिले=चढ़ाये । विट्ठलीं भगवानको ।)
शिष्यके ज्ञानपर सही करना, इतना ही गुरुका काम। बाकी, शिष्य स्वाबलंबी है।
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