Book Title: Vichar Pothi
Author(s): Vinoba, Kundar B Diwan
Publisher: Sasta Sahitya Mandal

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Page 49
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विचारपोथी काव्यका नायक किसी व्यक्त रूपमें नहीं होता। काव्यके सभी व्यक्तियोंकी सामुदायिक अव्यक्त योग्यता ही काव्यका नायक है। (१) विचारहीन जीवन (२) विचारमय जीवन (३) विचार-जीवन (४) निर्विचार जीवन पारमार्थिक पुरुषकी दक्षता में उदासीनता होतो है और उदासीनता में दक्षता होती है। दक्षः--कर्मयोगी। उदासीनः-ज्ञानी। दक्ष उदासीन:-भक्त। ३१४ जो गुरु होगा वह शिष्य होगा ही। जो शिष्य न होगा वह गुरु हरगिज नहीं होगा। गुरुको शिष्यके लिए पूज्यभाव होना चाहिए ; क्योंकि शिष्यत्व गुरुत्वके लिए मातृस्थानीय है। । संसारकी ओर देखते समय आदर, प्रेम या करुणाके सिवा चौथी भावना उत्पन्न क्यों हो? पासवालोंको रोष मालूम होनेके कारण जिसका पासवालोंपर प्रभाव नहीं पड़ता, उसका दूरवालोंको दोष मालूम न होने For Private and Personal Use Only

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