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विचारपोथी
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बुद्धिगत ज्ञान याने 'परोक्ष' ज्ञान । वही जब इन्द्रियोंमें उतरता है तब 'अपरोक्ष' कहलाता है ।
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सप्तर्षियों की आकृति में काश्मीर और हिमालयका भाग मुझे दिखाई देता है | यह भारतका उपलक्षरण समझकर ऋषियोंके स्मरण के साथ 'दुर्लभं भारते जन्म' इस ऋषि-वचनका मैं स्मरण करता हूं ।
ब्रह्म
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ज्ञानावस्था में भी भेदकी कल्पना करना याने रजोगुणकी चरम सीमा है ।
अचिन्त्य चिन्त्य
३३.६
जो बलवान वह बालक | ऊंचे-से ऊंचा ध्येय भी जिसे अशक्य नहीं लगता वह बालक ।
अव्यक्त
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३३७
I
व्यक्त
५१
T मूर्त
अमूर्त
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जो ईश्वरका क्रोध जानता है वह क्रोध-रहित होता है। जो ईश्वरकी क्षमा जानता है वह क्षमावान् होता है ।
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