Book Title: Vichar Pothi
Author(s): Vinoba, Kundar B Diwan
Publisher: Sasta Sahitya Mandal

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Page 62
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विचारपोथी ४१० सिद्धियां दो प्रकारकी हैं : (१) वैराग्य-साधक और (२) ऐश्वर्य-साधक । पहली मोक्षानुकूल है, दूसरी मोक्षविरोधी। ___ "तुम्हारे मतसे गीतामें बतलाये हुए 'पापयोनि' कौन ४१२ अध्ययनमें लंबाई, चौड़ाई और गहराई तीनोंकी अपेक्षा है। लंबाई-दीर्घकाल। चौड़ाई-नैरन्तर्य। गहराई-सत्कार। ४१३ गुणवानकी उपासना यदि सगुण कही जाय, तो गुणोंकी उपासना निर्गुण कही जायगी। ४१४ लक्ष्मी, शक्ति और सरस्वती (क्रमशः वैश्य, क्षत्रिय और ब्राह्मणकी) सुरक्षित देवियां हैं, अकेली सेवादेवी ही सार्वजनिक देवी है। सत्त्वोदय-बुद्धि । सत्त्वोत्कर्ष-इंद्रिय-जय । सत्त्वशुद्धि-भक्ति । ४१६ "तेरा सो तेरा और मेरा, सो भी तेरा"-ऐसा अद्वैतका विनियोग है; क्योंकि मेरा अद्वैत-ज्ञान मेरे लिए लागू है, दूसरेके लिए नहीं। For Private and Personal Use Only

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