Book Title: Vichar Pothi
Author(s): Vinoba, Kundar B Diwan
Publisher: Sasta Sahitya Mandal

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Page 69
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ६८ www.kobatirth.org विचारपोथी मनुष्यों का अर्थ - दान करो । मेरा अर्थ - दगड़ (पत्थर) बनो । " स एषोऽश्माखण: " ४६२ वेदमंत्र से भी नामकी महिमा अधिक है। नाममें अमर्याद शक्ति भर सकते हैं । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४६३ वैराग्य एक पलड़े में और दूसरी सारी सात्त्विकता दूसरे पलड़े में डालकर जब तौला तो वैराग्य भारी निकला । ४६४ वाल्मीकिकी प्रतिभा, व्यासकी प्रज्ञा और शुकके प्रेमका जोड करें, तो वह ईश्वरत्व गिननेकी एक छोटीसी इकाई हो सकेगी । ४६५ स्वप्न में होनेवाले सुख-दुःखों के अनुभवोंपर से मरनेके पश्चात् जीवको सूक्ष्म देहमें भुगतने पड़नेवाले सुख-दुःखोंकी कल्पना हो सकती है । (१) मरण - निद्रा | (२) सूक्ष्मदेह - स्वप्न । (३) स्वर्ग - स्वप्नगत सुख । (४) नरक - स्वप्नगत दुःख । (५) ब्रह्मलोक - सुषुप्त (६) पुनर्जन्म - पुनर्जागरित । ४६६ रामावतार में भगवान्ने यथेष्ट सेवा लो । कृष्णावतार में यथेष्ठ सेवा की । ४६७ यदि किसीको किसी भी उपायसे पृथ्वीके आकर्षणके बाहर For Private and Personal Use Only

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