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विचारपोथी
मनुष्यों का अर्थ - दान करो । मेरा अर्थ - दगड़ (पत्थर) बनो । " स एषोऽश्माखण: "
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वेदमंत्र से भी नामकी महिमा अधिक है। नाममें अमर्याद शक्ति भर सकते हैं ।
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वैराग्य एक पलड़े में और दूसरी सारी सात्त्विकता दूसरे पलड़े में डालकर जब तौला तो वैराग्य भारी निकला ।
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वाल्मीकिकी प्रतिभा, व्यासकी प्रज्ञा और शुकके प्रेमका जोड करें, तो वह ईश्वरत्व गिननेकी एक छोटीसी इकाई हो सकेगी ।
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स्वप्न में होनेवाले सुख-दुःखों के अनुभवोंपर से मरनेके पश्चात् जीवको सूक्ष्म देहमें भुगतने पड़नेवाले सुख-दुःखोंकी कल्पना हो सकती है ।
(१) मरण - निद्रा |
(२) सूक्ष्मदेह - स्वप्न । (३) स्वर्ग - स्वप्नगत सुख ।
(४) नरक - स्वप्नगत दुःख । (५) ब्रह्मलोक - सुषुप्त (६) पुनर्जन्म - पुनर्जागरित ।
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रामावतार में भगवान्ने यथेष्ट सेवा लो । कृष्णावतार में यथेष्ठ सेवा की ।
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यदि किसीको किसी भी उपायसे पृथ्वीके आकर्षणके बाहर
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