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विचारपोयो
१०३
बालकोंमें ज्ञान सहज ही उगेगा। स्त्री-पुरुषोंके शिक्षणकी दिशा भी इसपरसे ध्यानमें आती है।
७२४ ब्रह्मचारी याने स्त्री और पुरुष एकस्थ ।
७२५
बुद्धि श्रद्धाकी तरह दुर्बल नहीं है। बुद्धि श्रद्धाके बराबर बलवान् नहीं है।
७२६ अति दूर देखना और बिलकुल न देखना-ये ठोकर लगने के दो उत्तम उपाय हैं।
७२७ ज्ञानसे दृष्टि श्रेष्ठ।
७२८ अभय दो प्रकारसे है-हमारा किसीसे न डरना, और हमसे किसीका न डरना । यह दोहरा अभय मैं आकाशमें देखता हूं। इसका अर्थ यह होता है कि मुझे आकाशकी तरह शून्य बनना चाहिए।
७२६
कौनसा तारा ऊंचा और कौनसा नीचा, इसमें जितना अर्थ हैं (अर्थात् बिलकुल नहीं) उतना ही अर्थ कौनसा आदमी ऊँचा और कौनसा नीच, इसमें भी है । दोनों, एक ही आकाशमें अलगअलग जगह हैं, इतना ही कहना चाहिए।
७३० वस्तुका स्वरूप क्षण-क्षरण बदलता दिखाई देता है-इसका वस्तु मिथ्या है, यह अर्थ नहीं है, वरन् वैभवशाली है, ऐसा अर्थ समझना चाहिए।
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