Book Title: Vichar Pothi
Author(s): Vinoba, Kundar B Diwan
Publisher: Sasta Sahitya Mandal

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Page 105
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १०४ विचारपोथी वासना नष्ट होनेपर सृष्टि दोनों अर्थों में 'अ-मूल्य' हो जाती है। ७३२ वैराग्यमें वैद्वेष्य गृहीत है । (वैद्वेष्य-द्वेष से रहितता) ७३३ (१) श्रुति (तत्त्व-सिद्धान्त) । (२) स्मृति (सामाजिक धारा) (३) पुराण (पूर्व संतोंके चरित्र) (४) भक्ति (उपासना) (५) नीति (अहिंसा-सत्यादि सिद्ध पंथ) यह सब धर्मोंका पंचांग है। ७३४ व्युत्पत्ति-व्याकरणका विषय है। निरुक्ति-प्राध्यात्मिक शास्त्र है। ७३५ सेवा व्यक्तिकी ; भक्ति समाजकी। मनुष्य-घर गुण-दरवाजा दोष-दीवारें For Private and Personal Use Only

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