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विचारपोथी
वासना नष्ट होनेपर सृष्टि दोनों अर्थों में 'अ-मूल्य' हो जाती है।
७३२ वैराग्यमें वैद्वेष्य गृहीत है । (वैद्वेष्य-द्वेष से रहितता)
७३३ (१) श्रुति (तत्त्व-सिद्धान्त) । (२) स्मृति (सामाजिक धारा) (३) पुराण (पूर्व संतोंके चरित्र) (४) भक्ति (उपासना) (५) नीति (अहिंसा-सत्यादि सिद्ध पंथ) यह सब धर्मोंका पंचांग है।
७३४ व्युत्पत्ति-व्याकरणका विषय है। निरुक्ति-प्राध्यात्मिक शास्त्र है।
७३५
सेवा व्यक्तिकी ; भक्ति समाजकी।
मनुष्य-घर गुण-दरवाजा दोष-दीवारें
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